Book Title: Parambika Stotravali Author(s): Publisher: View full book textPage 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तेन्दुशाभाम् ललिता सुमन्दहसितामम्बामखिलेश्वरी वन्दे // 1 // ऐक्षवचाएं बाणान पुष्पमयाजातरूपमया॥पाशसृणी संदधतीं सुदती स्वानन्दसुन्दरीं वन्दे // 2 // करुणाकलिता पाङ्गी चार्वङ्गी सकललोकनिर्मात्रीम् // धात्री समस्तजगतां चञ्चच्चन्द्राईशेखरांवन्दे // 3 // स्मेराधिकशोभिमुखीं मा. णिक्याभरणशोभिताङ्गलताम् / / मृगनाभिविन्दुनिटिलोचित्रा रुणचैलशोभिनीं वन्दे // 1 // निजमुखनिःसृतवाणीविजि तसुधासारसर्वसौभाग्याम् // आज्ञाधीनचतुर्दशभुवनां कामे श्वराङ्गनां वन्दे // 5 // हर्षितभक्तमयूरां चिद्घनरूपां सना तनींत्रिपुराम् // करुणारसपरिपूर्णा मद्वैतानन्दिनीं वन्दे // 6 // काश्मीरकान्तिवर्णी तरणींमवसिन्धुखेदयुक्तानाम् // कु कुमचर्चितदेहां शोभागुणरूपवारिधिं वन्दे // 7 // धामत्रय लिंगत्रयपुरत्रयत्रिगुणिदेवपुरा // वर्तनशीला तुर्या तुर्याऽतीत स्वरूपिणी वन्दे // 8 // भक्तस्यकल्पलतिका कामदुधां चिन्तितार्थदायिमणिम् // अक्षयनिधिमनोज्ञां स्वामृतसंजीवनी षधि वन्दे // 9 // श्यामा तारा त्रिपुरा भुवनेशी भैरवी छिना धूमा सुपीतवसना सुमुखी कमलामयीं वन्दे // 10 // एतद्दशकं मातुः श्रीललितायाः समस्तरूपायाः // प्रातःपठति सयायाद्भक्तोभास्वन्मणिद्वीपम् // 11 // श्रीगुरुदर्शितव मनि तिष्ठनध्यायन् पराम्बिकारूपम् // निश्चलबुड्या नित्यं For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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