Book Title: Parambika Stotravali
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दं प्रोक्तं प्रेमास्यदप्रसादतः / यः पठेन्मनुजः प्रेम्णा सहिने मनिधिर्भवेत् // 9 // इतिश्रीप्रेमाष्टकस्तोत्रं संपूर्णम् // मातृकाप्रपंचरूपनादविन्दुमयी विजयतेतराम् / / है अखण्डानन्दिनी चाया इन्दुबिन्दमुखीश्वरी // उमोहा पोहनिर्मुक्ता ऋरूपा ऋस्वरूपिणा // 1 // लूरूपालस्वरूपा च एकानेकस्वरूपिणी // ऐन्द्रीसुपूजिता उमित्यक्षरार्थस्वरू पिणी // 2 // औद्धत्यदैत्यदलिनी ह्यम्बिका अःस्वरूपिणी // कमलानाथसंपूज्या खड्खेटकधारिणी // 3 // गणेशजननी घण्टानादत्रासितशात्रवा // डकराचरणापन्नविश्ववासविना शिनी // 4 // छत्रचामरशोभाया जलजन्मनिभेक्षणा // झङ्कारनपुरारावशोभनीयपदाम्बुजा // 5 ॥त्रकाराक्षररूपा च टकाराक्षररूपिणी // ठस्वरूपा डस्वरूपा ढाकतिर्णरूपि णी // 6 // तत्सद्रूपस्वरूपाच थरूपा दण्डिनीश्वरी // धननाथसदासव्या नरनारायणस्तुता // 7 // पद्मावाणीच लञ्चारुचामराबीजिताङ्गिका।फटकारमन्त्रमहात्म्यनाशितस्वी यशात्रवा // 8 // बलभद्रसमाराध्या भवभाग्या मदिष्टदा / / यमपाशभयत्रासनाशिनी रणशोभिनी // 9 // ललितालापलीलादया वरदानधुरंधरा // शरदिन्दुनखज्योत्स्नाहृतहार्दत मोगुणा // 10 // षडध्वातीतपादाब्जा सदा सर्वेष्टरूपिणी // हंसमन्त्रमयी ल्ला क्षकारान्त्यसुरूपिणी // ११॥क्षरूपा ल्लस्वरूपा च सदासर्वेश्वरप्रिया // षटत्रिंशत्तत्वरूपाच शरचापकराम्बुजा / / 12 / वरुणोपासितालक्ष्मीलालितां. निसरोरुहा // रमणीयपदाम्भोजा यज्ञरूपा महामभा। 13 // For Private and Personal Use Only

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