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। श्री चन्द्रषिमहत्तर प्रणीत पंचसंग्रह (८) (उदीरणाकरण-प्ररूपणा अधिकार)
a हिन्दी व्याख्याकार ___ स्व० मरुधरकेसरी प्रवर्तक मुनि श्री रूपचन्द जी महाराज
0 दिशा निदेशक
मरुधरारत्न प्रवर्तक मुनि श्री रूपचन्द जी म० 'रजत'
D संयोजक सप्रेरक
मरुधराभूषण श्री सुकनमुनि
। सम्पादक
देवकुमार जैन - प्राप्तिस्थान
श्री मरुधरकेसरी साहित्य प्रकाशन समिति पीपलिया बाजार, ब्यावर (राजस्थान)
[] प्रथमावृत्ति
वि० सं० २०४२ श्रावण; अगस्त १९८६ लागत से अल्पमूल्य १०/- दस रुपया सिर्फ
- मुद्रण
श्रीचन्द सुराना 'सरस' के निदेशन में एन० के० प्रिंटर्स, आगरा
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