Book Title: Panch Bhavnadi Sazzaya Sarth
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Bhanvarlal Nahta

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Page 10
________________ मृत्युञ्जयी मनोहरलाल इस असार संसार में लाखों व्यक्ति प्रतिदिन जन्म लेते हैं और मृत्यु को प्राप्त होते हैं पर मानव जन्म उन्हीं का सार्थक है जो अपना कल्याण करने के साथसाथ दूसरों के लिए एक आदर्श उपस्थित कर जाते हैं। भाई मनोहरलाल नाहटा एक ऐसा ही प्रतिभासम्पन्न, सदाचारी और सर्व-प्रिय नवयुवक था जिसने अपने अल्प- जीवन में अपने आत्मीय जनों एवं मिलने-जुलने वालों के हृदय में अपने सद्व्यवहार से एक अमिट छाप छोड़ दी उसने "मरण समं नत्वि भयं" लोकोक्ति को मिथ्या प्रमाणित कर दिया। यमराज को भयानक गदा उसे क्लान्त न कर सकी और वह मृत्युञ्जयी बना । मानव-जन्म की सार्थकता है -सम्यग्दर्शन की प्राप्तिमें। भाई मनोहर ने जड़ चेतन की भिन्नता ज्ञातकर देह-ममत्व का परिहार किया और अपने सद्विचारों द्वारा सबको प्रभावित कर-अमृत-तत्व प्राप्त किया। इस तरुण ने सद्विचारशील, सौजन्यमूर्ति स्वर्गीय श्री तिलोकचन्द जी नाहटा के इकलौते पुत्र परलोकगत बालचन्द जी नाहटा के घर विक्रम सं १९६२ के भिती मिगज़र सुदी ५ को जन्म लिया । इसकी माता का नाम धापीबाई हैं । मनोहर अपने ४ वर्ष की ही आयु में पितृ-सुख से वंचित होकर भी अपने संस्कारी जीवन द्वारा सब का प्रेमभाजन हुआ और मेट्रिक तक शिक्षा प्राप्त की। इसकी छोटी बहन मोहिनी जो संसार से विरक्त होकर आत्मोन्नति के मार्ग में आरूढ होने को उत्सुक थी अतः उसकी मातुश्री ने पूज्या भार्यावर्य श्री विचक्षणश्रीजी जैसी विदुषी एवं आलाfoot साश्रेष्ठा के चरणों में समर्पित कर निवृत्तिपचानुगामिनी बनाया । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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