Book Title: Padyavali
Author(s): Karpurvijay, Kunvarji Anandji
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust

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Page 351
________________ (११) मास एक अहनिसि वहे, सूरजस्वर मनमांहि । दोय दीनाका जीवणा, यामे संशय नाहि ॥ ३५५ ॥ चले निरंतर सुखमना, पांच घडी स्वर भाल । पांच घडी सुखमन चलत, मरन होय ततकाल ॥३५६॥ . नहीं चंद सूरज नहीं, सुखमन भी नहीं होय । मुखसेंती स्वासा चलत, चार घडी थिति जोय॥३५७॥ दिनमें तो शशि स्वर चले, निशा भान परकाश ।। चिदानंद निश्चे अति, दीरघ आयु तास ॥ ३५८ ॥ दिवानाथ होय दिवसमें, निशा निशाकर स्वास। चिदानंद षट मास तस, जीवितव्यनी आश ॥३५९॥ चार आठ द्वादश दिवस, षोडश वीश विचार । चलत चंद नितमेव इम, आयु दीरघ धार ॥ ३६० ॥ रातदिवस जो तीन दिन, चले तत्व आकाश । वरस दिवस कायाथिति, तिस उपरांत विनाश ॥३६१॥ अहोराति दिन चार जो, चले तत्त्व आकाश । थिरता तनकी जाणजो, उत्कृष्टी षटमास ॥ ३६२ ॥ अरुणधृति ध्रुवबालिका, मातृमंडले जोय । . ए चारु नवि लखी शके, आयु हीन नर कोय॥३६३॥

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