Book Title: Padyavali
Author(s): Karpurvijay, Kunvarji Anandji
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust

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Page 366
________________ (13) पण वीरल.जोवामां आवे छे. उपरांत ए हकीकत पण ध्यानमा राखवानी छ के-वर्तमान काळे आ विद्यानो अभ्यास करवानी इच्छावाळा केटलाक मनुष्यो ए कार्यमा प्रवृत थइने लाभने बदले हानि करी बेसे छे. आ सर्व वातोनो विचार करी गृहस्थोने पण आ विद्यानी अमुक अंशे आवश्यकता छे एम समजी आ स्वरोदयज्ञाननो संक्षिप्त रहस्यार्थ शा. भीमशी माणेके जुदी बुकद्वारा प्रगट करेल छे. आशा छे के योग्य गृहस्थो तेनो आधार लइने आ विद्यानो अभ्यास करी लाभ मेळशे, कारण के आ विद्यानो अभ्यास आ भवमां तेमज परभवमा पण हितकारी छे अने प्रांते आत्मकल्याणने प्राप्त करावनार छे. - Alm

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