Book Title: Padyavali
Author(s): Karpurvijay, Kunvarji Anandji
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust

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Page 362
________________ स्वरोदयज्ञान समजवानी आवश्यकता 9 आ जगतमा कुदरते मनुष्य जातिने विशेष ज्ञान आपेलुं छे, तेना परिणामे उत्तम पुरुषो भूत, भविष्य अने वर्तमान काळनी वात हस्तामलकवत् जणी शके छे. आ हकीकत सर्वत्र जाणीती छे. ज्योतिष, रमळ विगेरेनुं ज्ञान काळज्ञानना पेटामां आवी शके छे,परंतु तेना करतां पण वधारे सरस एक रीत काळज्ञान जाणवानी छे ते स्वरोदय ज्ञान छे. तेनाथी विनासाधने मनुष्य काळज्ञान जाणी शके छे. आ ज्ञान पूर्वना योगीश्वरोए शोधन करीने सिद्ध करेल छे. मात्र मनुष्य पोताना प्रमादवशे ते ज्ञानथी अजाण,रही अंधनी माफक फर्या करे छे. स्वरोदयनो स्पष्ट अर्थ पवननुं प्रगट थवापणुं छे. आ शरीरमां पांच प्रकारना पवन छे. तेने नीकळवाना मुख्य बे रस्ता छे. ते केवी रीते ? कया कया समये ? कया कया स्थळेथी नीकळे तो शुं थाय ? तेनुं जे ज्ञान ते स्वरोदय ज्ञान छे. स्थिर चित्तथी एकांते बेसी शुभ भावसंयुक्त पोताना सद्गुरु देव- स्मरण करीने स्वर जोवो. पछी

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