Book Title: Naya Manav Naya Vishwa
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 227
________________ प्रयोग में भी हमने कोई रुचि नहीं दिखाई । किन्तु आपके द्वारा प्रशिक्षित एक शिक्षक ने बड़े मनोयोग से इन प्रयोगों में रुचि ली। उनके प्रयत्नों से जो परिणाम आया, वह विस्मयकारी है । हमारा ध्यान इस ओर तब गया, जब कुछ छात्रों के अभिभावक हमारे पास आए और उन्होंने पूछा- आजकल आप हमारे लड़के को क्या पढ़ा रहे हैं ? प्रतिदिन घर पहुंचने से पहले उनकी शिकायतें हमारे पास पहुंचती थीं, किन्तु एक-दो महीनों में उनकी एक भी शिकायत हमारे पास नहीं आयी है । तब हमारा ध्यान इस प्रयोग की ओर गया। हमें लगा - यह तो बहुत परिवर्तनकारी प्रयोग है । हमने उन अभिभावकों को जीवन विज्ञान के प्रयोगों के बारे में बताया । 1 यदि मेरे अधिकार में होता" व्यावर में एक जैन गुरुकुल है। वहां जीवन विज्ञान के प्रयोग चलते थे 1 प्रिंसिपल ईसाई हैं । हमने उनसे पूछा- आपके स्कूल में इन प्रयोगों का क्या परिणाम रहा ? उन्होंने कहा - 'आप क्या पूछते हैं ? इन प्रयोगों ने तो हमारे स्कूल का सारा वातावरण ही बदल दिया। अगर मेरे अधिकार में होता तो मैं आज से ही इसे पूरे राजस्थान में अनिवार्य कर देता ।' मेरा भला हो गया जहां-जहां ये प्रयोग शुरू हुए, एक भी स्थान से यह रिपोर्ट नहीं मिली कि ये प्रयोग निरर्थक हैं, इनके कोई परिणाम नहीं आए। हर जगह से यही रिपोर्ट मिली - न केवल विद्यार्थियों में परिवर्तन आया, बल्कि अभिभावकों में भी परिवर्तन आया, अध्यापकों में भी परिवर्तन आया। पूज्य गुरुदेव जैन विश्व भारती के प्रागंण में विराज रहे थे । अध्यापकों का प्रशिक्षण शिविर संपन्न हुआ । अध्यापक अपना अनुभव सुना रहे थे । एक अध्यापक बोला- 'गुरुदेव ! विद्यार्थियों का भला कब होगा, मैं नहीं जानता, मेरा भला तो हो गया। मैं नशा बहुत करता था । बीड़ी, सिगरेट ही नहीं पीता था, सब प्रकार के नशे का आदी था । किन्तु वह सब अब छूट गया है, मेरा कल्याण हो गया है । अध्यापकों के शिविर बहुत सफल रहे । नागोर जिले में प्रशिक्षण अभियान 1 जीवन विज्ञान के प्रयोग : २०६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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