Book Title: Naya Manav Naya Vishwa
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 230
________________ लिए तुम कम से कम दस दिन यहां रहो, अभ्यास करो, फिर तुम्हारी समस्या का अपने आप समाधान हो जायेगा ।' शिक्षा जगत् में आज मात्र बौद्धिक क्रिया चल रही है । बुद्धि चिन्तन की शक्ति का विकास करती है। फिजिक्स, कैमिस्ट्री, बायोलाजी आदि में प्रैक्टिकल अनिवार्य है, उसमें कोरा बौद्धिक विलास काम नहीं देता । यह आर्ट फैकल्टी ही ऐसा अंग है, जो केवल बुद्धि पर आधारित है। एक वैज्ञानिक प्रयोग करके अपने विषय का निष्णात बन जायेगा किन्तु चरित्र की समस्या तो उसके सामने भी रहेगी। आत्महत्याएं क्यों ? पूज्य गुरुदेव दिल्ली (सन् १६८७) में थे। डॉ. दौलतसिंहजी कोठारी चार-पांच फिजिक्स के प्रोफेसरों के साथ दर्शन करने आए। उन्हीं दिनों पूसा यूनिवर्सिटी के एक वैज्ञानिक ने आत्महत्या कर ली । समस्या थी पदोन्नति की। बातचीत के दौरान मैंने कहा- इतना बड़ा वैज्ञानिक, इतनी प्रखर बौद्धिक, वह मामूली सी बात को लेकर आत्महत्या जैसा कदम उठा लेता है, यह कितने बड़े आश्चर्य की बात है ? डॉ. कोठारी एक सुलझे हुए विद्वान् थे । वे बोले - 'महाराज ! उन्हें अहिंसा का प्रशिक्षण नहीं मिला था । वह मिला होता तो इस हद तक न जाते, आज अनेक डॉक्टर बड़ी-बड़ी बीमारियों से ग्रस्त हैं। दूसरों का इलाज कर रहे हैं और स्वयं बीमार हैं। टेंशन इतना है कि कभी-कभी वे भी आत्महत्या कर लेते हैं । अनुभव श्रीमती इंदिरा गांधी का हमारा एक पक्ष है चरित्र का पक्ष । इसे हम मानसिक शान्ति का पक्ष कहें या अहिंसा का पक्ष, एक ही बात है। इसकी विद्या की हर शाखा के साथ अनिवार्यता है । जीवन विज्ञान का प्रायोगिक पक्ष यह रहा - विद्या की प्रत्येक शाखा के साथ मन की शान्ति, अहिंसा या चरित्र निर्माण का पक्ष जुड़ना चाहिए। क्योंकि यह हर क्षेत्र के व्यक्ति के लिए यह आवश्यक है 1 अध्यात्म साधना केन्द्र में पूज्य गुरुदेव विराज रहे थे । श्रीमती इन्दिरा गांधी दर्शन करने आयीं। उस समय वे प्रधानमंत्री नहीं थीं । जनता पार्टी २१२ : नया मानव : नया विश्व Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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