Book Title: Naya Manav Naya Vishwa
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 235
________________ है-अणुव्रत का प्रयत्न सामाजिक चेतना को जगाने का प्रयत्न नहीं है। पश्चिम की ओर से बहुत बार यह स्वर आता है कि हम लोग सामाजिक दिशा में काम कर रहे हैं और आप लोग वैयक्तिक दिशा में काम कर रहे हैं। इस तरह एक-एक व्यक्ति को कब तक ठीक किया जा सकेगा ? पांच-छह अरब आदमी हैं दुनिया में। सामुदायिक चेतना जाग जाए तो पूरा समाज एक झटके में ठीक हो जायेगा। कल्पना बहुत अच्छी है किन्तु जब तक वैयक्तिक चेतना की पवित्रता का आधार नहीं मिलेगा, समाज-चेतना जग नहीं पाएगी। समाज-चेतना का परिणाम राजा ने मंत्री से कहा-एक आदेश प्रसारित करो-राज्य का प्रत्येक नागरिक आज रात्रि में एक-एक लोटा दूध खाली तालाब में डाले। प्रातःकाल हम तालाब को लबालब दूध से भरा हुआ देखना चाहते हैं। मंत्री ने राजाज्ञा प्रसारित कर दी। प्रातः राजा तालाब देखने गया। तालाब पूरा भरा था, दूध से नहीं, पानी से। सब के मन में एक ही बात आयीइतने लोग दूध डालेंगे, मैं एक लोटा पानी डाल दूंगा तो क्या फर्क पड़ेगा। इतने दूध में एक लोटा पानी का क्या अस्तित्व ? वह दूध में मिल जायेगा। एक ने सोचा, दूसरे ने सोचा, तीसरे ने सोचा और सब ने यही सोचा, वैसा ही किया। परिणाम था-तालाब दूध के स्थान पर पानी से भर गया। ___वैयक्तिक चेतना जिस धरातल पर, जिस स्तर पर काम कर रही थी, उस स्तर का चिन्तन यही था-एक लोटा पानी इतने दूध में चल जायेगा। जिस स्तर की चेतना होती है, चिंतन भी उसी स्तर का होता कहा जाता है- सुभोग नाम का चक्रवर्ती समुद्र के ऊपर से जा रहा था। उसके विमान को सोलह हजार देवता उठाए हुए ले जा रहे थे। एक देवता के मन में आया- इतने सारे लोग उठाए हुए हैं, एक मैं छोड़ दूं तो क्या फर्क पड़ेगा ? दूसरे ने भी यही सोचा, तीसरे ने भी यही सोचा। सामुदायिक चेतना का ऐसा जागरण हुआ कि सोलह हजार देवताओं ने नया मानव : नया विश्व : २१७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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