Book Title: Navkar Mahamantra
Author(s): Pratap J Tolia
Publisher: Jina Bharati

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Page 24
________________ Cococcus Asinan दिव्य ध्वनि दिव्य ध्वनि यह सूचित करती है कि आर्हतों की देशना आपको सम्यक् श्रद्धा-दर्शन, सम्यक् ज्ञान और सम्यक् चारित्र के सुयोग्य, कल्याणकारी मार्ग पर ले जायेगी। चामर ___ चामरों की हलचल सूचित करती है कि जो अभीप्सु भक्त आहेतों के समक्ष वंदना करते हैं वेअपने जीवन के प्रत्येक कार्य, प्रत्येक कार्यक्षेत्र में ऊंचे ही ऊंचे चढ़ेंगे। भामंडल भामंडल अर्थात् झिलमिल प्रकाशित तेजस्वी सूर्य से भी अधिक शक्तिमान और विविध प्रकार के प्रभावों से युक्त दिव्यओरा। यह सूचित करती है कि विश्वभर में प्रवर्तित मोहांधकार को दूर करने के लिये महाप्रकाशपुंज दीप हैं आर्हत् ! सिंहासन बहुमूल्य प्रकाशमान हीरों से शोभांकित (जड़ित) सिंहासन सूचित करता है कि अर्हत् समस्त ब्रह्मांड के मुकुट हैं, समग्र विश्व के चक्रवर्ती राजा हैं और संपूर्ण विश्व के लोकालोक के प्रकाशक हैं। देवदुंदुभि देवदुंदुभि-दिव्य नगाड़ों के बजने की ध्वनि यह सूचित करती है कि हमारे गंतव्य, मुक्तात्माओं के महादेश तक पहुँचने हेतु सच्चे मार्गदर्शक आहेत् हैं। छत्रत्रय मूल्यवान मोतियों और हीरों से जड़ित तीन छत्र यह सूचित करते हैं कि तीनों विश्व - नरक, स्वर्ग और पृथ्वी सारे आर्हतों के द्वारा नियंत्रित होते हैं और वे उनकी सेवा में रहते है। इन सारे अतिशयों के उपरांत, जहाँ अर्हत् विचरण करते हैं, वहाँ सभी ऋतुओं के पुष्प एक साथ ही पल्लवित होते हैं। फलों के वृक्षों पर सर्व ऋतुओं के, सर्व प्रकार के फल आ जाते हैं। दुष्काल और भूकंप कभी भी नही होते हैं। अनाज के सर्व प्रकारों के समय पर के विपुल उत्पादन हेतु पर्याप्त बरसात होती है। पशुओं की भूख की संतुष्टि के लिये बहुत घास और चारा उत्पन्न होता है। तृषा-तुष्टि, सिंचाई एवं कृषि के हेतु सभी सरिताएँ, जल-निर्झर एवं जलाशयादि जल से पूर्ण रहते हैं। जहाँ आर्हत् अपना पैर धरते हैं वहाँ सारे रोगोपद्रव महामारी आदि शमित हो जाते हैं। RECere Seseselese

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