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कमल पुष्प पर उनका पैर रखकर चलना पवित्र धर्मग्रंथों में एवं तिरुक्कुरल में भी भली भांति दर्शाया गया है।
समवसरण में गाय और बाघ, शेर और हिरन, सर्प और नेवला आदि की एक साथ बैठने की और अपनी जन्मजात वैरवृत्ति भूल जाने की प्रक्रिया आहेत् के वैश्विक प्रेम से परिपूर्ण भरे हुए, पवित्र हृदय का निर्देश करती है। इसके अतिरिक्त, आर्हत् देश में जहाँ जहाँ विचरणसंचरण करते हैं, वहाँ वहाँ उनकी पवित्र पावन आत्मा के कारण अनाज की कमी, अकालअनावृष्टि, अतिवृष्टि, आँधी-तूफान, बेक्टेरिया समान जंतुओं से खेती की फसल का नाश
और सर्व प्रकार के मानवीय कष्ट नष्ट होते है, विद्यमान ही रहते नहीं हैं। संपत्ति-समृद्धि, स्वास्थ्य और सद्बुद्धि अनेकगुना वर्धित होंगे-बढ़ेंगे-और जनता सुखी एवं समृद्ध होगी। यहाँ पर मैं भिन्न-भिन्न आगमों, सूत्रों और प्रमाणभूत शास्त्रग्रंथों से कुछ चुने हुए अवतरण भी उद्धृत करूंगा और पाठकों को मुनिश्री कुंदकुंद विजयजी महाराज विरचित अत्यंत सुयोग्य सर्जन'नमस्कार चिंतामणि' ग्रंथ से मूलभूत श्लोकों का अध्ययन करने के लिए अनुरोध करूंगा।
(1) जो नवकार मंत्र का स्मरण करता है उसे अपने आप को सचमुच ही अत्यंत सौभाग्यशाली समझना चाहिये। उसे परम धन्यता माननी चाहिये कि उसके पास इस आदि विहीन अतीत (भूतकाल) और अंतविहीन अनागत (भविष्यकाल) के (भवसागर में) जीवन सागर में (पंचपरमेष्ठी नमस्कार) सर्वाधिक मूल्यवान हीरे जैसा पंच परमेष्ठी नमस्कार है।
(2) नवकार मंत्र जिन शासन का अमृत है और चौदह पूर्वो का सम्यक् सार है। हालाँकि जगत दुःखों और उपाधियों (चिंताओं) से भरा हुआ है, फिर भी जो नवकार मंत्र का सदा स्मरण करता है उसे कुदरत, (Nature) सदा उनसे दूर रखती है। दूर रखेगी।
(3) सर्व उत्तम वस्तुओं में नमस्कार "सर्वोत्तम', सर्व श्रेष्ठ है, सर्व पवित्र घटनाओं में "सर्वोत्तम पवित्र" घटना है, सर्वपुण्यों में "सर्वश्रेष्ठ'' पुण्य है और सर्व परिणामों में दिया गया "सर्वोच्च परिणाम है।
(4) पंच नमस्कार का ही स्मरण करने पर व्यक्ति जल, अग्नि के भयों से और राजाओं, लुटेरों, दुष्कालों और आपदाओं के द्वारा उत्पन्न सारे उपद्रवों से बच जाता है, रक्षित हो जाता है, मुक्त हो जाता है।
(5) नमस्कार महामंत्र व्यक्ति को सारी मानसिक एवं शारीरिक चिंताओं और कष्टों से मुक्त करता है, सन्मान एवं सुयश प्रसिद्धि प्रदान करता है, जन्म और मृत्यु के समुद्र काभवसागर का अंत लाता है और विपुल समृद्धि संपदा देता है - न केवल इस संसार में-इस जन्म में-परंतु हमारे भावी जन्मों में भी।
RECERS 15 SEEDORIES