Book Title: Natak Samaysara
Author(s): Banarasidas
Publisher: Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust
View full book text
________________
Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates
પધોની વર્ણાનુક્રમણિકા
४33
४८
१७
१५५ तब बानारता
४२०
२३५
પધ जो हितभाव स राग है जौलौं अष्ट कर्मको विनास नांही जौलौं ज्ञानको उदोत तौलौं नहि | ज्यौं कलधौत सुनारकी संगति ज्यौं घट कहिये घीवको ज्यौं चिरकाल गड़ी वसुधामहि ज्यौं जगमैं विचरै मतिमंद ज्यौं ज्यौं पुग्गल बल करै ज्यौं तन कंचुक त्यागसौं ज्यौं दीपक रजनी समै ज्यौं नट एक धरै बहु भेख ज्यौं नर कोउ गिरै गिरिसौं तिहि ज्यौं पंथी ग्रीषम समै ज्यौं माटीमैं कलस होनकी ज्यौं वरषै वरषा समै ज्यौं हिय अंध विकल | जंह ध्रुवधर्म कर्मछय लच्छन
१९
પધ ११४ | तन चेतन विवहार एकसे १०४ | तनता मनता वचनता
| तब बानारसी मनमहिं आनी २२० । ता कारन जगपंथ इत ६० तातें आतम धरमसौं ४८ | तातें चिदभावनिविषै ११२ । तातें भावित करमकौं २७६ । तातें मेरै मतविर्षे ३२७ | तातें विषै कषायसौं २७७ | तामैं कवितकला चतुराई २२१ | तियथल बास प्रेम रुचि निरखन
तिहूं लोकमांहि तिहं काल सब १५
| तीन काल अतीत अनागत ८३ | तीनसै दसोत्तर सोरठा दोहा ३३८ | तो गरंथ अति सोभा पावै २४९ | त्याग जगो परवस्तु सब ३ ८ । त्यौं सुग्यान जानै सकल
थ २२८ | थविरकलपि जिनकलपि
थविरकलपि धर कछक सरागी | १९९ | थिति पूरन करि जो करम
थिति सागर तेतीस ३४४ | ३४५ | दया-दान-पूजादिक विषय
दरब करम करता अलख | ३०१ | दरब करम पुग्गल दसा ४१ । दरबकी नय परजायनय दोऊ
२८९ २७७ २५४ २५६ २०७ ४१९ ३८८ १८२ २३० ४२१ ३१२
२९
१४९
२७८ |
| झूठी करनी आचारै
३९४ ३९८
ठौर ठौर रकतके कुंड
१९
३८३
द
डूंघा प्रभु चूंघा चतुर ड्घा सिद्ध कहै सब कोऊ
८२
२६७ २८२
तजि विभाव हजै मगन तत्त्वकी प्रतीतिसौं लख्यौ है
Please inform us of any errors on rajesh@ AtmaDharma.com

Page Navigation
1 ... 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471