Book Title: Narbhavdrushtantopnaymala Author(s): Jinendrasuri Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala View full book textPage 4
________________ कंइक . श्री अरिहंत परमात्माओए मलेल मनुष्यभवने दुर्लभ कह्यौ छे ते दृष्टांतो आप्या छे ते दृष्टांतोना उपनयमां भोजन विगेरे मलवा सुलभ पण मनुष्य जन्म मलवो दुर्लभ वर्णव्यो छे. ___ आ दृष्टांत (1) भोजन (2) पासा (3) धान्य (4) जुगार (5) रत्न (6) स्वप्न (7) चक्र (8) काचबो (9) घोंसरु (10) परमाणुआ दश दृष्टांतोनुं आ ग्रंथमां ते अंगेनी कथा साथे वर्णन छे, एक एक दृष्टांते मानवभव दुर्लभ छे. .. आ दृष्टांतमाला प्राकृतमा छे तेना भावार्थ साथे प्रगट थाय छे जे बोधथी भरेल छे. आ ग्रंथमां 557 पद्यो छे अने तेना कर्ता पू. आणंदविमल सू. म. ना संतानीय पूं. पं. श्री नयविमलगणि छे. ... आ ग्रंथनुं वांचन मनन त्रोधक छे. जिने 2052 द्वि. अषाढ सुद-२ 45 दि. प्लोट, जामनगरPage Navigation
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