Book Title: Narbhavdrushtantopnaymala Author(s): Jinendrasuri Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala View full book textPage 8
________________ // अहम् / / पूज्याचार्यदेवश्रीविजयराजतिलक सूरिभ्यो नमः / सिरितवगणगयणंगणदिणमणि . पंडियसिरिणय-विमलगणिविरइआ // . भावार्थ सहिता नरभवदिठंतोवनयमाला / 1 / अथ चुल्लकनामा प्रथमो दृष्टान्तः / नमिऊण नमिरसुरवरं,-किरोडमणिकिरणालीढकयसोहं / वीरजिणचलणजुयलं, वुच्छं दिटुंतपयरणयं // 1 // . भावार्थ:-नमनशीलदेवेन्द्रोना मुकुटमा रहेल मणिओना किरणोनी पंक्तिथी शोभा सम्पन्नथयेल श्रीवीरजिनेश्वरना चरणयुगलने प्रणाम करी नरभवदृष्टान्तोना प्रकरणने हुँ (नयविमल) जे ते कहीश // 1 // सिट्टो सव्वगिरीणं, जह मेरु तओ वि नंदणं रम्म / तमि पुण कप्परक्खो, तहा गईणमि मणुअगइ // 2 // भावार्थ:-जेवी रीते समस्तपर्वतोमा मेरुपर्वत श्रेष्ठ छे अने तेथी . पण नंदनवन विशेष रमणीय छ, नंदनवनमां पण कल्पवृक्ष विशेष चित्ताकर्षक छे, तेवी रीते नरक, तियंच, मनुष्य अने देव ए सघळी गतिPage Navigation
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