Book Title: Nagil Charitram Author(s): Shubhshil Gani Publisher: Hiralal Hansraj Pandit View full book textPage 4
________________ नागील चरित्रं // 2 // // 2 // CHAKRECE5IMESAREE अहो ब्रह्मव्रतं मुक्तेः सन्मुखीकारकारणम् / गीयते नागिलस्येव विपदामुपदाहकृत् // 4 // अर्थः-अहो ! नागिलनी पेठे आपदाओने बाळी नाखनारुं ब्रह्मचर्यव्रत मुक्तिने सन्मुख लाववामां कारणभूत गणाय छे, // 4 // तथाहि भोजभूजानिभुजाहिपरिरक्षितम् / निधानमिव धर्मस्य पुरमस्ति महापुरम् // 5 // अर्थः-ते कहे छे-भोजराजना हाथरूपी सर्पथी रक्षित थयेलं, अने धर्मना निधानसरखं महापुरनामर्नु नगर छे. // 5 // ___जिनेन्द्रसेवाहेवाकविवेकविकसन्मनाः / तस्मिन्विस्मयकृल्लक्ष्मीलक्ष्मणोऽस्ति महावणिक् // 6 // अर्थ:-ते नगरमां जिनेंद्रप्रभुनी सेवाना उत्साहथी उत्पन्न थयेला विवेकथी प्रफुल्लित हृदयवाळो, तथा आश्चर्यकारक लक्ष्मीवाळो लक्ष्मणनामे एक म्होटो वणिक वसे छे. // 6 // अभूदभूषितशुभाप्यर्हद्भक्तिविभूषिता / विवेकिनी विनीता च तस्य नन्देति नन्दिनी // 7 // : अर्थः-ते वणिकने भूषणोविना शोभिती छतां पण श्रीतीर्थकरमभुनी भक्तिथी अलंकृत थयेली, विवेकी तथा विनयवंत नंदानामनी पुत्री हती. // 7 // सतीशतशिरोमाल्यमियं वाल्पविलडिनी / वरावलोकिनं तातं निरातङ्कतयावदत् // 8 // अर्थःसेंकडोगमे सतीओनां मस्तकपर पुष्पमालासरखी, तथा बाल्यवस्थाने उल्लंघी गयेली ते नंदा [तेना] वरमाटे शोध करता एवा (पोताना) पिताने कहेवा लागी // 8 // निरञ्जनं दशोन्मुक्तं निःस्नेहव्यमन्वहम् / धत्ते विकम्पं दीपं यः परिणेता ममास्तु सः॥९॥ ***+96=%-1364067%*%* %*96Page Navigation
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