Book Title: Nagil Charitram Author(s): Shubhshil Gani Publisher: Hiralal Hansraj Pandit View full book textPage 7
________________ नागील CaextGAM E अहारयदयं वित्तं धूतकारो यथा यथा / अपूरयत स श्रेष्ठी पुत्रीप्रेम्णा तथा तथा // 20 // अर्थ:--ते जुमारी नागिल जेम जेम द्रव्य हारतो गयो, तेम तेम ते शेठ पुत्रीना स्नेहने लीधे तेने द्रव्य पूरुं पाडवा लाग्यो. 20 हारयित्वापि वित्तानि रत्वापि पहिरानाः। गृहं पातः स सानन्दं मन्दया पर्यत / / 21 // अर्थः-धन हारीने, तथा बहार परस्त्रीओने भोगवीने पण घेर बावेला ते नागिनी नंदा ने हर्षपूर्वक से करवी हनी.॥२१॥ अचिन्तयदिदं चैष नाहमस्या ध्रुवं प्रियः / यदित्वमपराधेऽपि माथि रोपं तनोति // 22 // अर्थ:--वळी ते एम विचारवा लाम्यो के हु आ नंदाने खरेखर त्रिव नथी, केबके भावीरीले अपराध कर्या छतां पण ते मारा पर रोष करती नथी. // 22 // सोन्यदा हारितत्रस्तः कितवेभ्यो बने विशत् / दृष्ट्वान ज्ञानिनं साधुं पप्रच्छ रचितांजलिः // 23 // अर्थ:-एक दिवसे हारी जवाथी जुमारीओना भयथी जाशीने ते अंगलमा चाल्यो भयो, त्यां कोइक ज्ञानी मुनिने जोइने | तेणे हाथ जोडी पुछ्यु के, // 23 // कि सा शुभस्वभावापि धत्ते चित्ते न मां पिया / इति पृष्टेऽस्न योगत्वं ज्ञात्वा ज्ञानो मुनि गौ // 24 // अर्थः-उत्तम स्वभाववाळी एवी पण भारी मिया ते नंदा पने हृदयमा केम धारण करती नथी? एम पूछनाथी तेनुं योग्यपणुं जाणीने ते ज्ञानी मुनिराज बोल्या के, // 24 // सा विवेकवती कान्तमपीच्छन्ती विवेकिनम् / विवेक तत्ाणं व्याख्यानाहग्दीपापदेशतः // 25 // K7Page Navigation
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