Book Title: Nagil Charitram
Author(s): Shubhshil Gani
Publisher: Hiralal Hansraj Pandit

View full book text
Previous | Next

Page 8
________________ नागील चरित्र *++CE%ACH // 6 // अर्थ:-विवेकवाळी एवी ते नंदाए पोताना स्वामीने पण विवेकवन्त इच्छतां थकां, तेवी रीतना दीपकनां मिषथी विवेकरूपी | तेना गुणनी व्याख्या करी हतो. // 25 // निगद्यतेऽञ्जनं माया नवतत्त्वस्थितिर्दशा / स्नेहव्ययः प्रेमभङ्गः कम्पः सम्यक्त्वखण्डनम् // 26 // अर्थः- (तेणीए कपटरूपी अंजन, नव तत्वोना अज्ञानरूपी वाट, प्रेमभंगरूपी तैलनो क्षय, तथा समकीतना खंडरूपी कंप कहेलो हतो. // 26 // - तैविमुक्तं विवेक यो धत्तेऽस्तु स पतिर्मम / इति दीपच्छलादाख्यत्पृष्टा नार्थ तु केनचित् // 27 // .. अर्थः-ते ते दृषणोथी रहित थयेला विवेकने जे धारण करतो होय, ते मारो स्वामी थाओ ? एम दीपकना मिषयी तेणीए कधु हतुं, परंतु तेनो भावार्थ कोइए (तेणीने पूछयो नही, // 27 // निरंजनं दशोन्मुक्तमस्नेहव्ययमन्वहम् / विकम्पं दीपमेव त्वं कृतवानदभुतं गृहे // 28 // अर्थ'-अंजनविनानो, वाटरहित, तैलना खर्च विनानो, तथा हमेशां निष्कंप, एवो आश्चर्यकारक दीवो तेंज घरमां को. 28 तादृशं वीक्ष्य सा दीपं सती भग्नोत्तरा सती / हिया मौनवती व्यूहे भवताप्यविवेकिना // 29 // अर्थः-एवीरीतना दीपकने जोइने, प्रत्युत्तर आपवाने अशक्त थयेली ते नंदा सतीए लज्जाथी मौनरहीने, निर्विवेकी एवो पण |जे तुं, तेनी साथे लग्न को. // 29 // सतीति परिणेतुस्ते हृष्टि स्थाने न हृष्यति / अविवेकीति सा चित्ते न धत्ते त्वां विवेकिनी // 30 // 2RECIRREGASAMRAGe A -% A9 -%

Loading...

Page Navigation
1 ... 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18