Book Title: Nagil Charitram
Author(s): Shubhshil Gani
Publisher: Hiralal Hansraj Pandit
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ REHENSE // श्रीजिनाय नमः // // श्रीनागीलचरित्रम् // E (मूल अने भाषांतर सहित) (द्वितीयावृत्तिः) (कर्ता-श्रीवर्धमानसूरि) -छपावी प्रसिद्ध करनारःपण्डित हीरालाल हंसाराज-जामनगर. (सने 1935) मुद्रकः-श्रीजैनभास्करोदय प्रिन्टिंग प्रेस. किंमत 0-8-. (वीरसंवत् 2461) ROSTANAM Page #2 -------------------------------------------------------------------------- _ Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नागील चरित्रं // 1 // // श्रीजिनाय नमः // // अथ श्रीनागीलचरित्रं प्रारभ्यते॥ (कर्त्ता-श्रीवर्धमानसूरि) भाषांतरकर्ता तथा छपावी प्रसिद्ध करनार-पण्डित श्रावक हीरालाल हंसराज (जामनगरवाला) +A+KACHARDCOREGI ___ अस्तेयव्रतदीपस्य प्रकाशोल्लासवत्पुनः / मुक्तिवर्त्मनि पान्थानां सतां ब्रह्मव्रतं मतम् // 1 // अर्थः-वळी मोक्षमार्गमां जता सज्जनोने अस्तेयव्रतरूपी दीपकना प्रकाशना उल्लाससरखं ब्रह्मत्रत कहेलं छे // 1 // संतोषः स्वेषु दारेषु त्यागो वा परयोषिताम् / प्रथयन्ति गृहस्थानां चतुर्थ तदणुव्रतम् / / 2 // अर्थ:-पोतानी स्त्रीओथीज संतोष, अने परनी स्त्रीओनो जे त्याग, तेने गृहस्थोनुं चो) अणुव्रत कहे छे // 2 // येऽन्यदारपरीहारव्रततीव्रतयोधुराः। भयान्मोहादयो दोषा न तेषु ददते पदम् // 3 // अर्थ:-जे पुरुषो परवीना त्यागरूप व्रतना बळथी शूरवीर थयेला छे, तेओ प्रत्ये (जाणे) भयथी मोहादिक दोषो पगलं पण भरता नथी // 3 // RAGHARRAINI-SHARECRe! Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नागील चरित्रं // 2 // // 2 // CHAKRECE5IMESAREE अहो ब्रह्मव्रतं मुक्तेः सन्मुखीकारकारणम् / गीयते नागिलस्येव विपदामुपदाहकृत् // 4 // अर्थः-अहो ! नागिलनी पेठे आपदाओने बाळी नाखनारुं ब्रह्मचर्यव्रत मुक्तिने सन्मुख लाववामां कारणभूत गणाय छे, // 4 // तथाहि भोजभूजानिभुजाहिपरिरक्षितम् / निधानमिव धर्मस्य पुरमस्ति महापुरम् // 5 // अर्थः-ते कहे छे-भोजराजना हाथरूपी सर्पथी रक्षित थयेलं, अने धर्मना निधानसरखं महापुरनामर्नु नगर छे. // 5 // ___जिनेन्द्रसेवाहेवाकविवेकविकसन्मनाः / तस्मिन्विस्मयकृल्लक्ष्मीलक्ष्मणोऽस्ति महावणिक् // 6 // अर्थ:-ते नगरमां जिनेंद्रप्रभुनी सेवाना उत्साहथी उत्पन्न थयेला विवेकथी प्रफुल्लित हृदयवाळो, तथा आश्चर्यकारक लक्ष्मीवाळो लक्ष्मणनामे एक म्होटो वणिक वसे छे. // 6 // अभूदभूषितशुभाप्यर्हद्भक्तिविभूषिता / विवेकिनी विनीता च तस्य नन्देति नन्दिनी // 7 // : अर्थः-ते वणिकने भूषणोविना शोभिती छतां पण श्रीतीर्थकरमभुनी भक्तिथी अलंकृत थयेली, विवेकी तथा विनयवंत नंदानामनी पुत्री हती. // 7 // सतीशतशिरोमाल्यमियं वाल्पविलडिनी / वरावलोकिनं तातं निरातङ्कतयावदत् // 8 // अर्थःसेंकडोगमे सतीओनां मस्तकपर पुष्पमालासरखी, तथा बाल्यवस्थाने उल्लंघी गयेली ते नंदा [तेना] वरमाटे शोध करता एवा (पोताना) पिताने कहेवा लागी // 8 // निरञ्जनं दशोन्मुक्तं निःस्नेहव्यमन्वहम् / धत्ते विकम्पं दीपं यः परिणेता ममास्तु सः॥९॥ ***+96=%-1364067%*%* %*96 Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ G नागील चरित्र // 3 // // 3 // ++KASHARAMGAR अर्थ:-जे पुरुष काजलविनाना, वाटरहित, तथा तेलना खर्च विनाना निष्कंप दीपकने हमेशां धारण करे, ते पुरुष मने परणी शकशे. इति तस्या वचः श्रेष्ठी वरेष्वनुदिनं दिशन् / अस्याः काभिग्रहः पूर्य इत्यातचिन्तयाजनि // 10 // _ अर्थ:-ते लक्ष्मण शेठ तेणीनुं एरीतनुं वचन बरोने हमेशां जणावतोथको आनो (आ) अभिग्रह क्याथी पूरो थाय? एवी | चिंताथी दुःख पामचा लाग्यो. // 10 // नागिलः कान्तकायस्तु कितवो लङ्घनैर्घनैः तुष्टं यक्ष विरूपाक्षं वनेऽपयर्यताग्रहात् // 11 // अर्थः-एवामां मनोहर शरीरवाळो ( कोइक ) नागिलनामनो धूर्त घणी लांघणोथी तुष्टमान थयेला वनमा रहेला विरूपाक्ष नामना यक्षने आग्रहपूर्वक प्रार्थना करवा लाग्यो के, // 11 // नन्दयोक्तोयथा दीपस्त्वं तथा भव मदगृहे / इति यक्षेण दत्तेऽर्थे स ययौ अष्ठिनोऽन्तिके // 12 // ____ अर्थः-जेवो नंदाए दीपक कहेलो छे, तेवा दीपकतरीके तुं मारा घरमां रहे? पछी तेवीरीतनो वर यक्षे आपवाथी ते नागिल लक्ष्मणशेठपासे गयो. // 12 // कितवाय दरिद्राय नन्दिनी स्वां ददामि मे / अभिग्रहमहं तस्या हन्त पूरयितुं क्षमः // 13 // अर्थः-( अने कहेवा लाग्यो के ) दरिद्र तथा धूर्त एवा मने जो तारी दीकरी आपे, तो खरेखर हुँ तेणीनो अभिप्रह संपूर्ण ॐा करवाने समर्थ छु.॥ 13 // यादृक्तादृग्भवेस्त्वं भोः पूरिताभिग्रहो यदि / तत्ते ददाम्यहं पुत्रों गङ्गामिव पयोधये // 14 // ORatoCAL Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नागील चरित्रं *+%AHARA // 4 // // 4 // अर्थः-अरे! गमे तेवो तुं हो, परंतु जो तेणीनो अभिग्रह पूरी करे, तो महासागरमते गंगानीपेठे तने हुं मारी पुत्री आपुं.१४॥ - तर्हि मद्गृहमागत्य दीपस्तादग्विलोक्यताम् / इत्युक्ते तेन स श्रेष्ठी सकुटुम्बस्तथाकरोत // 15 // अर्थ:-त्यारे मारे घेर आवीने तेदो दीपक तमो जुओ? एम तेणे कहेवाथी कुटुंबसहित ते शेठे तेम कयु // 15 // दारियोपद्रुतेऽप्यस्य गृहे तादृशमेव सः / दीपं पश्यन्सुतोवाहसोत्साहः प्राप संमदम् // 16 // अर्थः-दरिद्रताथी वेरविखेर हालतवाळा पण तेना घरमां तेवोज दीपक जोतो एवो ते शेठ पुत्रीने परणवाना उत्साहथी आनंद पामवा लाग्यो. // 16 // तादृग्दीपसमालोककौतुकोत्तानलोचनः जनोऽजनिष्ट नन्दा तु निरानन्दाभवत्तदा // 17 // अर्थः-ते वखते लोको तो तेवो दीपक जोवाथी आश्चर्य चकित लोचनोवाळा यया, परंतु नंदा आनंदरहित थइ. // 17 // विभवैर्भवनं तस्य विभूष्याथ वणिग्वरः / उत्सवोत्संगितपुरः पुत्रीं तेन व्यवाहयत् // 18 // अर्थ:--पछी ते उत्तम शेठे तो समृद्धिथी ते नागिलनु घर शणगारीने, तथा शहेरमां पण म्होटो उत्सव करावीने ते नागिलनी साथे पोतानी पुत्रीने परणावी. // 18 // परिणीयापि तां तन्वीं विवेकामृतदीर्घिकाम् / द्यूतान्यवर्तत न स व्यसनं कस्य सुत्वजम् // 19 // अर्थः-विवेकरूपी अमृतनी वावडी सरखी एवी ते नंदाने परणीने पण ते जुगार रमवाथी पाछो हठ्यो नही, केमके व्यसन तजवू कोने सहेलं छे? // 19 // 6ASARASWATHAMABAR SHRESEARSHRE% Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नागील CaextGAM E अहारयदयं वित्तं धूतकारो यथा यथा / अपूरयत स श्रेष्ठी पुत्रीप्रेम्णा तथा तथा // 20 // अर्थ:--ते जुमारी नागिल जेम जेम द्रव्य हारतो गयो, तेम तेम ते शेठ पुत्रीना स्नेहने लीधे तेने द्रव्य पूरुं पाडवा लाग्यो. 20 हारयित्वापि वित्तानि रत्वापि पहिरानाः। गृहं पातः स सानन्दं मन्दया पर्यत / / 21 // अर्थः-धन हारीने, तथा बहार परस्त्रीओने भोगवीने पण घेर बावेला ते नागिनी नंदा ने हर्षपूर्वक से करवी हनी.॥२१॥ अचिन्तयदिदं चैष नाहमस्या ध्रुवं प्रियः / यदित्वमपराधेऽपि माथि रोपं तनोति // 22 // अर्थ:--वळी ते एम विचारवा लाम्यो के हु आ नंदाने खरेखर त्रिव नथी, केबके भावीरीले अपराध कर्या छतां पण ते मारा पर रोष करती नथी. // 22 // सोन्यदा हारितत्रस्तः कितवेभ्यो बने विशत् / दृष्ट्वान ज्ञानिनं साधुं पप्रच्छ रचितांजलिः // 23 // अर्थ:-एक दिवसे हारी जवाथी जुमारीओना भयथी जाशीने ते अंगलमा चाल्यो भयो, त्यां कोइक ज्ञानी मुनिने जोइने | तेणे हाथ जोडी पुछ्यु के, // 23 // कि सा शुभस्वभावापि धत्ते चित्ते न मां पिया / इति पृष्टेऽस्न योगत्वं ज्ञात्वा ज्ञानो मुनि गौ // 24 // अर्थः-उत्तम स्वभाववाळी एवी पण भारी मिया ते नंदा पने हृदयमा केम धारण करती नथी? एम पूछनाथी तेनुं योग्यपणुं जाणीने ते ज्ञानी मुनिराज बोल्या के, // 24 // सा विवेकवती कान्तमपीच्छन्ती विवेकिनम् / विवेक तत्ाणं व्याख्यानाहग्दीपापदेशतः // 25 // K7 Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नागील चरित्र *++CE%ACH // 6 // अर्थ:-विवेकवाळी एवी ते नंदाए पोताना स्वामीने पण विवेकवन्त इच्छतां थकां, तेवी रीतना दीपकनां मिषथी विवेकरूपी | तेना गुणनी व्याख्या करी हतो. // 25 // निगद्यतेऽञ्जनं माया नवतत्त्वस्थितिर्दशा / स्नेहव्ययः प्रेमभङ्गः कम्पः सम्यक्त्वखण्डनम् // 26 // अर्थः- (तेणीए कपटरूपी अंजन, नव तत्वोना अज्ञानरूपी वाट, प्रेमभंगरूपी तैलनो क्षय, तथा समकीतना खंडरूपी कंप कहेलो हतो. // 26 // - तैविमुक्तं विवेक यो धत्तेऽस्तु स पतिर्मम / इति दीपच्छलादाख्यत्पृष्टा नार्थ तु केनचित् // 27 // .. अर्थः-ते ते दृषणोथी रहित थयेला विवेकने जे धारण करतो होय, ते मारो स्वामी थाओ ? एम दीपकना मिषयी तेणीए कधु हतुं, परंतु तेनो भावार्थ कोइए (तेणीने पूछयो नही, // 27 // निरंजनं दशोन्मुक्तमस्नेहव्ययमन्वहम् / विकम्पं दीपमेव त्वं कृतवानदभुतं गृहे // 28 // अर्थ'-अंजनविनानो, वाटरहित, तैलना खर्च विनानो, तथा हमेशां निष्कंप, एवो आश्चर्यकारक दीवो तेंज घरमां को. 28 तादृशं वीक्ष्य सा दीपं सती भग्नोत्तरा सती / हिया मौनवती व्यूहे भवताप्यविवेकिना // 29 // अर्थः-एवीरीतना दीपकने जोइने, प्रत्युत्तर आपवाने अशक्त थयेली ते नंदा सतीए लज्जाथी मौनरहीने, निर्विवेकी एवो पण |जे तुं, तेनी साथे लग्न को. // 29 // सतीति परिणेतुस्ते हृष्टि स्थाने न हृष्यति / अविवेकीति सा चित्ते न धत्ते त्वां विवेकिनी // 30 // 2RECIRREGASAMRAGe A -% A9 -% Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मागील // 7 // ॐACITO अर्थः-वळी ते सती होवाथी तने परणनारने खुशी करवामाटेते खुशमिजाजी रहे छे, अने तुं विवेकरहित होवाथी ते विवेकी नन्दा तेने (पोताना) ह्रदयमां धारण करती नथी // 30 // साध्वादिष्टं विवेकं स स्वीचक्रेऽथ विशेषतः / व्रतं स्वदारसंतोषं जगृहे स्नेहपुष्टिदम् // 31 // अर्थ-पछी ते मुनिराजे उपदेशेला विवेकनो तेणे विशेष प्रकारे स्वीकार कर्यो, तथा स्नेहने पुष्ट करनारा स्वदारसन्तोषनामना व्रतने ग्रहण कर्यु // 31 / / मुदा गत्वा गृहे लात्वा पूजयित्वा जिनाधिपम् / दत्त्वा दानं सुपात्रेभ्यो बुभुजेऽसौ यथाविधि // 32 // अर्थः-पछी हर्षथी घेर जइ, स्नान करी, तथा जिनेश्वरप्रभुने पूजीने, अने सुपात्रोमत्ये दान दइने तेणे विधिपूर्वक भोजन कर्यु. विवेकिनमिवालोक्य मुदा कान्तमथावदत् / नन्दा मन्दाकिनीनीरशुचिना वचनेन तम् // 33 // ___ अर्थः-पछी विवेकीसरखा(पोताना)ते भर्तारने हर्षथी जोइने नंदा गंगाजलसरखां निर्मल वचनथी तेने कहेवा लागी के,॥३३॥ जिनेन्दुसेवया शीलसलिलव्यक्तशिक्तया / अद्य मे फलितं नाथ यदृष्टोऽसि विवेकवान् // 34 // अर्थः-हे स्वामी ! शीलरूमी जलथी प्रगटरीते सींचायेली मारी जिनपूजा आजे फलीभूत थयेली छे, केमके आपने में विवेकवाला जोया छे, // 34 // नागिलोऽपि जगौ तन्धि यन्मुक्त्वा व्यसनं मया / विवेकः स्वीकृतस्तत्र गुर्वादेशोऽस्ति कारणम् // 35 // अर्थः-त्यारे नागिले पण कडं के, हे पिये ! में जे व्यसननो त्याग करीने विवेकने स्वीकार्यो, तेमां गुरुमहाराननो उपदे-18 AAAAAESEAR ME0% ग Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ x 4- नागील // 8 // CREAUCCA | शन कारणभूत छे. // 35 // ततः प्रभृति सद्धर्मशीलप्रेमगुणैर्टढम् / त्रिधा स्यूते तयोश्चित्ते भेजतु शमेकताम् // 36 / / ___अर्थ:-त्यारथी मांडीने उत्तम धर्म, शील, अने प्रेमरूपी गुणोथी (दोराथी) बडं मजबूतपणे तेओर्नु हृदय सीवायाथी तेओ | बन्ने अत्यंत अक्यपणुं धारण करवा लाग्या. / / 36 // अनन्यरूपयोधर्मध्यानाधीनधियोस्तयोः / आधिमुक्तहृदो कामं कायकान्तिरवर्धत // 37 // अर्थः-अनुपम रूपवाळा, धर्मध्यानने स्वाधीन बुद्धिवाळा, तथा चिंतारहित हृदयवाळा, एवा तेओ बन्नेना शरीरनी कांति स्वभाविकपणेज वृद्धि पामवा लागी. // 37 // . कदाचिदुत्सवाकृष्टा नन्दा पितृगृहे ययौ / सुप्तः कुहिमकोट्यग्रे नागिलश्चन्द्रदत्तदृक् // 38 // अर्थः-पछी एक दिवसे कंइक महोत्सवप्रसंगे नंदा (पोताना ) पिताने घेर गइ हती, अने नागिल चंद्रतरफ दृष्टि राखीने अगासीना अग्रभागमां मूतो हतो. // 38 // / व्योग्नि विद्याधरी कापि यान्ती प्रियवियोगिनी / तदूपमोहतः कामरोहतः प्राप्य तं जगौ // 39 // ___ अर्थः-एवामां भरिना वियोगवाळी कोइक विद्याधरी आकाशमा जती थकी, ते नागिलना रूपथी मोहित थइने, कामविकार उत्पन्न थवाथी तेनी पासे आवी कहेवा लागी के, // 39 // कामानलशिखातप्ता प्राप्तास्मि शरणं नव / स्वामिल्लावण्यपाथोधे मां मजय भुजोर्मिषु // 40 // FRHAGRAA% MESCORG CER-CG Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ +% // 9 // AGACHI अर्थ:-हे स्वामी ! कामरूपी अग्निनी ज्वालाथी तप्त थयेली एवी हुँ आपने शरणे आवेली छ, माटे हे लावण्यना महासागर! नागील || मने (आपना) भुजाओरूपी मोजांओमां स्नान करावो? // 4 // प्रियास्मि हंसराजस्य विद्याधरशिरोमणेः / ततश्चित्तं त्वयाकर्षि गीतेनेव कवित्वतः॥४१॥ ___अर्थः-विद्याधरोना सरदार एवा हंसराजानी हु स्त्री छु, अने तेथी कविताबद्ध गायनथी जेम, तेम आपे मारां हृयर्नु आव६र्षण करेलुं छे.॥४॥ चण्डस्य खेचरपतेः सुता लीलावतीत्यहम् / त्वयाहता भविष्यामि सत्यं लीलावती पुनः॥ 42 // अर्थः-चंडनामना विद्याधरोना स्वामीनी हुँ लीलावती नामनी पुत्री छु, अने आपना स्वीकारथी तो हुँ खरेखरी विलासवती (कामविलास भोगवनारी) थवानी छु. // 42 // नाङ्गीकरोषि चेत्तन्मां मृत्युरङ्गीकरिष्यति / तद्भविष्यसि धर्मज्ञ किं न स्त्रीघातपातकी // 43 // अर्थः-(हवे) जो मने आप अंगीकार नही करो, तो मरण मारो स्वीकार करशे, माटे हे ! नीतीज्ञ ! (तेथी) | तमो स्त्रीहत्याना पापवाळा नही थाओ? // 43 // रहस्यं वेद्मि विद्यानां कामितुश्च पितुश्च तत् / तौ जित्वा तेन तत्स्वाम्यं तव दास्यामि मा भज // 44 // अर्थः-वळी मारा स्वामिनी तथा पितानी विद्याओना ते रहस्यने पण हुं जाणुं छु, अने तेथी तेओने जीतीने आपने तेओन राज्य आपीश, माटे मने स्वीकारो? // 44 // 2-02-11- ECRETRESS 2018 Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नागील +A- C चरित्रं // 10 // A मान्यथा मद्रचः कार्षीरित्युक्त्वासौ कुरङ्गदुक् / कम्पमाना क्रमों तस्य मूर्ना स्त्रष्टुमधावत // 45 // अर्थ:-हवे मारा वचननो आप अनादर करशो नहीं, एम कहीने ते हरिणाक्षी कंपतीथकी ते नागिलना चरणोने (पोताना) मस्तकथी स्पर्श करवाने दोडी. // 45 // मा भूत्परस्त्रीस्पर्शोऽपि ममेत्याशु स नागिलः / ततश्चकर्ष चरणौ दह्यमानाविवाग्निना // 46 // अर्थः-मने परस्त्रीनो स्पर्श पण थवो जोइये नही, एम विचारीने तुरत ते नागिले, जाणे अग्निथी बळता होय नही ! एम विचारीने (पोताना) पग त्यांथी खेंची लोधा. // 46 // ___ क्रुद्धाथ व्योम्नि तप्तायोगोलं लोलं विकृत्य सा / भज मामन्यथानेन भस्मयामीत्युवाच तम् // 47 // अर्थः-त्यारे क्रोध पामेली ते विद्याधरी आकाशमा तपावेलो लोखंडनो गोळो विकुर्वीने, मारी साथे विलास कर? नहितर | आ गोळाथी तने भस्मीभूत करी नाखुं छु, एम तेणीए ते नागिलने का. // 47 // अलुभ्यतो लोभवाक्याड्रीतिस्थानादविभ्यतः। सूत्कारी स ज्वलन्गोलस्तस्याथो मौलयेऽपतत् // 48 // अर्थ:-पछी (ए रीतनां तेणीना) लोभना वाक्योथी नही लोभाता, तेमज भयनी धमकीथी पण नही डरता एवा ते नागिलना मस्तकपर ते मूत्कार करतो गोळो पडयो. // 48 // दग्धो दग्धोऽयमित्यन्तायन्त्यां खेचरस्त्रियाम् / स सस्मार नमस्कारं विलीनश्च विपञ्चयः // 49 // अर्थः--(अरे!) आ बळ्यो, बळ्यो, एम ते विद्याधरी मनमां विचारती हती, एवामां ते नागिले नवकारमंत्रनुं स्मरण कर्य. Re- I45- 54-OCK MESSAE% Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ E CI नागील // 11 // चरित्रं // 1 // CR +%AE%ECESSARMECORE अने तेथी ते आपदाओनो समूह नष्ट थयो. // 4 // अथ प्रापददृश्यत्वं त्रपाटोपेन खेचरी / नागिलोऽभूनमस्कारप्रभावोत्पुलकः पुनः // 50 // अर्थः-त्यारे शरमनी मारी ते विद्याधरी अदृश्य थइ, अने ते नागील तो नवकारमंत्रना महात्म्यथी रोमांचित थयो. // 54 // न रतिः पितृगेहेऽपि त्वां विनेत्यादिवादिनी / चेटिकोद्घाटितद्वारा तदा नन्दा तमाययौ // 51 // टू अर्थः-तमारा विना मने ( मारा) पिताने घेर चेन पडतुं नथी, इत्यादिक वचनो बोलती, तथा दासीए उघाडेलु छे द्वार | जेणीने एवी ते नंदा ते वखते तेनी पासे आवी. // 11 // आकारेण गिरा गत्या तां नन्दा स विदन्नपि / खेचरीविप्लवाशङ्की संकीर्णस्थोऽवदत्ततः // 2 // ___ अर्थः-पछी आकारथी, वाणीथी, तथा गतिथी तेणीने नंदा जाणता छतां पण ते नागिल विद्याधरीना कावतरांनी शंका लावीने |संकडामणथी संकोचाइ रहीने बोलवा लाग्यो के, // 52 // अरविन्दाक्षि नन्दासि यदि तूर्ण तदेहि माम् / अन्यासि यदि तद्धर्मः स्वाम्यस्तु स्खलनं तव॥ 53 // ____ अर्थ:-हे कमलाक्षी ! जो तुं नंदा हो, तो तुरत मारी पासे आव? अने जो कोइ बीजी हो तो धर्म मारुं रक्षण करनार थाओ? अने तारुं स्तंभन थाओ? // 53 // ततः स्थितस्वरूपैव खेचरी सा स्खलनतिः / तद्वृत्तविस्मयस्तब्धमूर्तिरेवाग्रतः स्थिता // 54 // अर्थः-पछी अटकाइ गयेल गतिवाळी, तथा तेना व्रतथी आश्चर्ययुक्त स्तब्ध थयेला आकारवाळीज ते विद्याधरी पोताना SHIRECIDESCA5-% Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नागील // 12 // +AAKAASAR खरा स्वरूपमांन रहीने (त्यां) स्तंभाइ गइ. // 54 // स तत्तत्कपट वीक्ष्य कपटान्तरशाङ्कितः / कृतलोचः स्वयं भेजे शीलभाभयावतम् / / 55 / / ___अर्थ:--पछी ते नागीले तेणीनुं ते कपट जोइने बीजां कोइ कपटनीशंकाथी लोच करीने शीलभंगना डरथी पोतानी मेळेज (त्या) चारित्र अंगीकार कयु.॥ 55 // दत्तं शासनदेव्याथ यतिवेषं स धारयन् / तत्प्रदीपपुरोभागमागत्येदमभाषत // 56 // अर्थः-पछी शासनदेवताए आपेला मुनिवेषने धारण करनारो ते नागिल ते दीपकनीपासे आवीने आ प्रमाणे कहेवा लाग्यो के, आराध्य नन्दालोमेन नीतोऽस्यद्भुतदीपताम् / अयि यक्ष विरूपाक्ष कृतकृत्योऽस्मि गम्यताम् // 57 // | अर्थ:--हे विरूपाक्ष यक्ष! नंदाने मेळववानी लालचथी (तारुं) आराधन करीने तने आश्चर्यकारक दीपकपणाने में माप्त करेलो छे, हवे हुँ कुतार्थ थयो छु, माटे तुं चाल्यो जा? // 57 // दीपतोऽप्यथ भाषाभूत्सेव्यो यावद्भवं भवान् / रवेरिव न मे भाभिः स्पर्शदोषः प्रभो भवेत् // 58 // ___ अर्थ--त्यारे ते दीपकमांथी पण एवी वाणी थइ के, हे स्वामी ! छेक जींदगीपर्यंत मारे तारी सेवा करवानी छे, तथा सूर्यनी कांतिनीपेठे मारी कांतिथी पण तमोने स्पर्शदोष लागवानो नथी. // 58 // अथ तादृग्महाशीलप्रीतया स्फीतविद्यया / विद्यार्या प्रतिपदं क्रियमाणप्रभावनः // 59 // तथाविधकथायोधवर्धमानप्रमोदया। व्रतध्यानगलत्पापकन्दया नन्दयान्वितः // 6 // SAROSAGROSPECIES Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चरित्रं ॥१शा R%5 C मागील भानूदयेऽप्यविभ्रष्टभासा दीपेन भासुरः। साश्चर्यमेष लोकेनालोक्यमानो गुरु ययौ / / 61 // & अर्थः-हवे तेवी रीतना ते नागिलना महान शीलथी खुशी थयेली, अने विस्तीर्ण विद्यावाळी ते विद्याधरीए पगले पगले करेलो र // 13 // है छे महिमा जेनो, // 59 // तथा तेवी रीतनुं वृत्तांत जाणवाथी वृद्धि पामता हर्षवाळी, अने चारित्र लेवानी इच्छाथी दूर थतां छे पापनां मूळो जेनां एवी ते नंदाथी युक्त थयेलो, // 60 // अने मूर्य उग्या छतां पण अस्खलित कांतिवाळा दीपकथी देदीप्यमान रथयेलो, तथा लोकोवडे आश्चर्य सहित जोबातो एवो ते नागिल गुरुमहाराज पासे गयो. // 61 / / व्रतं नन्दायुतः प्राप्य विधिवद्गुरुसंगतः / विजहार महारण्यारामग्रामपुरादिषु // 2 // अर्थ:--(त्यां) गुरुमहाराजने मळीने ते नागिल नंदा सहित विधिपूर्वक चारित्र लेइने महोटां जंगलो, बगीचा, गांबडां तथा नगरआदिकोमा विहार करवा लाग्यो. // 62 // निशास्वपि प्रदीपस्य तस्योद्योते ततः पठन् / ज्ञातज्ञातव्यपूरोऽयमल्पैरेव दिनैरभूत // 63 // अर्थः-पछी रात्रिए पण ते दीपकना प्रकाशमां अभ्यास करता एवा ते नागिलमुनि थोडाज दिवसोमां जाणवालायक ज्ञानना 6 समूहना जाणकार थया. // 63 // बद्धायुः संयमात्पूर्व मृत्वासौ स्नेहवांस्तया / हरिवर्षे युगलतां ययौ कल्पतरोस्तले // 64 // ____ अर्थः-चारित्र लीधा पहेलांज पूर्वे बांधेला आयुवाळा, अने ते नंदासाथेना स्नेहवाला ते नागिलमुनि मृत्यु पामीने हरिवर्ष त क्षेत्रमा कल्पवृक्षनी नीचे युगलिकपणु पाम्या. // 64 // %5C%ECEM Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 4 नागील चरित्रं // 14 // // 14 // %ECEP तद्वयं भाग्यशेषेण भुक्वा भोगोत्सवं दिवः / क्षेत्रे महाविदेहाख्येमाभूयाप निवृतिम् // 65 // अर्थः-पछी तेओ बन्ने चाकीना भाग्यवडे दैविक भोगोनो उत्सव भोगवीने महाविदेहनामना क्षेत्रमा मनुष्य थइ मोक्ष पाम्या. __अतो नागिलनन्दावदानन्दाद्वैततत्परः / धार्य तुर्यव्रतं दक्षधर्मवृक्ष कवर्षणम् // 66 // ____ अर्थः-माटे नागिल अने नंदानी पेठे आनंदमांज फक्त तत्पर थयेला चतुर माणसोए धर्मरूपी वृक्ष माटे वरसाद सरखां | चोथा व्रतने धारण कर. // 66 // / इति चतुर्थव्रतविचारे नागिलकथा // परीते चोथा व्रतना विचारना संबंधमां नागिलनी कथा कही. HARASHTRAKESIGNERRENCE आ चरित्र श्रीवर्धमानमूरिए रचेला वासुपूज्यचरित्रमाथी ओधरीने तेनुं गुजराती भाषांतर करी छपावी प्रसिद्ध करेल छे. H AREER Page #17 -------------------------------------------------------------------------- _ Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ PISICIOCICISISMOSICICICICISI 2 . goog g ereerde r egrettegenseregtegrerererere SICILICHOISISIC geregelen ll gra sfari TRT 1 Il COCCUSSIC MEM. . ..... .. . . .. .. . . ....... ......Firsiegegere a LUCIUCHCOCCODRONCHICCONCIOUS