________________ मागील // 7 // ॐACITO अर्थः-वळी ते सती होवाथी तने परणनारने खुशी करवामाटेते खुशमिजाजी रहे छे, अने तुं विवेकरहित होवाथी ते विवेकी नन्दा तेने (पोताना) ह्रदयमां धारण करती नथी // 30 // साध्वादिष्टं विवेकं स स्वीचक्रेऽथ विशेषतः / व्रतं स्वदारसंतोषं जगृहे स्नेहपुष्टिदम् // 31 // अर्थ-पछी ते मुनिराजे उपदेशेला विवेकनो तेणे विशेष प्रकारे स्वीकार कर्यो, तथा स्नेहने पुष्ट करनारा स्वदारसन्तोषनामना व्रतने ग्रहण कर्यु // 31 / / मुदा गत्वा गृहे लात्वा पूजयित्वा जिनाधिपम् / दत्त्वा दानं सुपात्रेभ्यो बुभुजेऽसौ यथाविधि // 32 // अर्थः-पछी हर्षथी घेर जइ, स्नान करी, तथा जिनेश्वरप्रभुने पूजीने, अने सुपात्रोमत्ये दान दइने तेणे विधिपूर्वक भोजन कर्यु. विवेकिनमिवालोक्य मुदा कान्तमथावदत् / नन्दा मन्दाकिनीनीरशुचिना वचनेन तम् // 33 // ___ अर्थः-पछी विवेकीसरखा(पोताना)ते भर्तारने हर्षथी जोइने नंदा गंगाजलसरखां निर्मल वचनथी तेने कहेवा लागी के,॥३३॥ जिनेन्दुसेवया शीलसलिलव्यक्तशिक्तया / अद्य मे फलितं नाथ यदृष्टोऽसि विवेकवान् // 34 // अर्थः-हे स्वामी ! शीलरूमी जलथी प्रगटरीते सींचायेली मारी जिनपूजा आजे फलीभूत थयेली छे, केमके आपने में विवेकवाला जोया छे, // 34 // नागिलोऽपि जगौ तन्धि यन्मुक्त्वा व्यसनं मया / विवेकः स्वीकृतस्तत्र गुर्वादेशोऽस्ति कारणम् // 35 // अर्थः-त्यारे नागिले पण कडं के, हे पिये ! में जे व्यसननो त्याग करीने विवेकने स्वीकार्यो, तेमां गुरुमहाराननो उपदे-18 AAAAAESEAR ME0% ग