________________ x 4- नागील // 8 // CREAUCCA | शन कारणभूत छे. // 35 // ततः प्रभृति सद्धर्मशीलप्रेमगुणैर्टढम् / त्रिधा स्यूते तयोश्चित्ते भेजतु शमेकताम् // 36 / / ___अर्थ:-त्यारथी मांडीने उत्तम धर्म, शील, अने प्रेमरूपी गुणोथी (दोराथी) बडं मजबूतपणे तेओर्नु हृदय सीवायाथी तेओ | बन्ने अत्यंत अक्यपणुं धारण करवा लाग्या. / / 36 // अनन्यरूपयोधर्मध्यानाधीनधियोस्तयोः / आधिमुक्तहृदो कामं कायकान्तिरवर्धत // 37 // अर्थः-अनुपम रूपवाळा, धर्मध्यानने स्वाधीन बुद्धिवाळा, तथा चिंतारहित हृदयवाळा, एवा तेओ बन्नेना शरीरनी कांति स्वभाविकपणेज वृद्धि पामवा लागी. // 37 // . कदाचिदुत्सवाकृष्टा नन्दा पितृगृहे ययौ / सुप्तः कुहिमकोट्यग्रे नागिलश्चन्द्रदत्तदृक् // 38 // अर्थः-पछी एक दिवसे कंइक महोत्सवप्रसंगे नंदा (पोताना ) पिताने घेर गइ हती, अने नागिल चंद्रतरफ दृष्टि राखीने अगासीना अग्रभागमां मूतो हतो. // 38 // / व्योग्नि विद्याधरी कापि यान्ती प्रियवियोगिनी / तदूपमोहतः कामरोहतः प्राप्य तं जगौ // 39 // ___ अर्थः-एवामां भरिना वियोगवाळी कोइक विद्याधरी आकाशमा जती थकी, ते नागिलना रूपथी मोहित थइने, कामविकार उत्पन्न थवाथी तेनी पासे आवी कहेवा लागी के, // 39 // कामानलशिखातप्ता प्राप्तास्मि शरणं नव / स्वामिल्लावण्यपाथोधे मां मजय भुजोर्मिषु // 40 // FRHAGRAA% MESCORG CER-CG