________________ +% // 9 // AGACHI अर्थ:-हे स्वामी ! कामरूपी अग्निनी ज्वालाथी तप्त थयेली एवी हुँ आपने शरणे आवेली छ, माटे हे लावण्यना महासागर! नागील || मने (आपना) भुजाओरूपी मोजांओमां स्नान करावो? // 4 // प्रियास्मि हंसराजस्य विद्याधरशिरोमणेः / ततश्चित्तं त्वयाकर्षि गीतेनेव कवित्वतः॥४१॥ ___अर्थः-विद्याधरोना सरदार एवा हंसराजानी हु स्त्री छु, अने तेथी कविताबद्ध गायनथी जेम, तेम आपे मारां हृयर्नु आव६र्षण करेलुं छे.॥४॥ चण्डस्य खेचरपतेः सुता लीलावतीत्यहम् / त्वयाहता भविष्यामि सत्यं लीलावती पुनः॥ 42 // अर्थः-चंडनामना विद्याधरोना स्वामीनी हुँ लीलावती नामनी पुत्री छु, अने आपना स्वीकारथी तो हुँ खरेखरी विलासवती (कामविलास भोगवनारी) थवानी छु. // 42 // नाङ्गीकरोषि चेत्तन्मां मृत्युरङ्गीकरिष्यति / तद्भविष्यसि धर्मज्ञ किं न स्त्रीघातपातकी // 43 // अर्थः-(हवे) जो मने आप अंगीकार नही करो, तो मरण मारो स्वीकार करशे, माटे हे ! नीतीज्ञ ! (तेथी) | तमो स्त्रीहत्याना पापवाळा नही थाओ? // 43 // रहस्यं वेद्मि विद्यानां कामितुश्च पितुश्च तत् / तौ जित्वा तेन तत्स्वाम्यं तव दास्यामि मा भज // 44 // अर्थः-वळी मारा स्वामिनी तथा पितानी विद्याओना ते रहस्यने पण हुं जाणुं छु, अने तेथी तेओने जीतीने आपने तेओन राज्य आपीश, माटे मने स्वीकारो? // 44 // 2-02-11- ECRETRESS 2018