________________ नागील +A- C चरित्रं // 10 // A मान्यथा मद्रचः कार्षीरित्युक्त्वासौ कुरङ्गदुक् / कम्पमाना क्रमों तस्य मूर्ना स्त्रष्टुमधावत // 45 // अर्थ:-हवे मारा वचननो आप अनादर करशो नहीं, एम कहीने ते हरिणाक्षी कंपतीथकी ते नागिलना चरणोने (पोताना) मस्तकथी स्पर्श करवाने दोडी. // 45 // मा भूत्परस्त्रीस्पर्शोऽपि ममेत्याशु स नागिलः / ततश्चकर्ष चरणौ दह्यमानाविवाग्निना // 46 // अर्थः-मने परस्त्रीनो स्पर्श पण थवो जोइये नही, एम विचारीने तुरत ते नागिले, जाणे अग्निथी बळता होय नही ! एम विचारीने (पोताना) पग त्यांथी खेंची लोधा. // 46 // ___ क्रुद्धाथ व्योम्नि तप्तायोगोलं लोलं विकृत्य सा / भज मामन्यथानेन भस्मयामीत्युवाच तम् // 47 // अर्थः-त्यारे क्रोध पामेली ते विद्याधरी आकाशमा तपावेलो लोखंडनो गोळो विकुर्वीने, मारी साथे विलास कर? नहितर | आ गोळाथी तने भस्मीभूत करी नाखुं छु, एम तेणीए ते नागिलने का. // 47 // अलुभ्यतो लोभवाक्याड्रीतिस्थानादविभ्यतः। सूत्कारी स ज्वलन्गोलस्तस्याथो मौलयेऽपतत् // 48 // अर्थ:-पछी (ए रीतनां तेणीना) लोभना वाक्योथी नही लोभाता, तेमज भयनी धमकीथी पण नही डरता एवा ते नागिलना मस्तकपर ते मूत्कार करतो गोळो पडयो. // 48 // दग्धो दग्धोऽयमित्यन्तायन्त्यां खेचरस्त्रियाम् / स सस्मार नमस्कारं विलीनश्च विपञ्चयः // 49 // अर्थः--(अरे!) आ बळ्यो, बळ्यो, एम ते विद्याधरी मनमां विचारती हती, एवामां ते नागिले नवकारमंत्रनुं स्मरण कर्य. Re- I45- 54-OCK MESSAE%