________________ 4 नागील चरित्रं // 14 // // 14 // %ECEP तद्वयं भाग्यशेषेण भुक्वा भोगोत्सवं दिवः / क्षेत्रे महाविदेहाख्येमाभूयाप निवृतिम् // 65 // अर्थः-पछी तेओ बन्ने चाकीना भाग्यवडे दैविक भोगोनो उत्सव भोगवीने महाविदेहनामना क्षेत्रमा मनुष्य थइ मोक्ष पाम्या. __अतो नागिलनन्दावदानन्दाद्वैततत्परः / धार्य तुर्यव्रतं दक्षधर्मवृक्ष कवर्षणम् // 66 // ____ अर्थः-माटे नागिल अने नंदानी पेठे आनंदमांज फक्त तत्पर थयेला चतुर माणसोए धर्मरूपी वृक्ष माटे वरसाद सरखां | चोथा व्रतने धारण कर. // 66 // / इति चतुर्थव्रतविचारे नागिलकथा // परीते चोथा व्रतना विचारना संबंधमां नागिलनी कथा कही. HARASHTRAKESIGNERRENCE आ चरित्र श्रीवर्धमानमूरिए रचेला वासुपूज्यचरित्रमाथी ओधरीने तेनुं गुजराती भाषांतर करी छपावी प्रसिद्ध करेल छे. H AREER