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और साधुका भंडन है ! गृहस्थके पास कौडी न हो तो वो कौडीका और साधुके पास कौडी हो तो वो कौडीका !
अंतमें सर्वकी सम्मति अनुसार यह नियम स्वीकार किया गया.
प्रस्ताव सोलवां.
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अहमदावादके मोहनलाल लल्लुभाई नामक मनुष्यके निकाले हुए हेन्डबिलमें, अपने परमपूज्य परमोपकारी जगद्विख्यात आचार्य महाराज श्रीमद्विजयानंद सूरि तथा प्रवर्त्तक श्री कांतिविजयजी महाराज तथा मुनि वल्लभविजयजी पर अश्लील आक्षेप किये हैं ! जिससे पंजाब वगैरह देशोंके श्रावक वर्गका दिल अत्यंतही दुःखी हुआथा ! उस वक्त अपने साधुओंने और खास कर प्रवर्त्तकजी महाराज तथा वल्लभविजयजीने शांततापूर्वक उनको समझाकर शांत किया और झगडेको बढने न दिया ! उसका यह संमेलन अनुमोदन करता है और यदि कोई समय भविष्य में ऐसा प्रसंग आतो ऐसेही शांतता रखनेके लिये यह सम्मेलन सम्मति देता है.
इस प्रस्तावके उपस्थित होते हुए पन्यास श्रीसंपत - विजयजी महाराज ने कहाथा कि, साधुओं का यही धर्म है कि, अगर कोई गालियां दे या इससे भी आगे बढकर कोई शरीर पर चोट पहुंचाने आवे तोभी शांति रखनी चाहिये. जब