Book Title: Muni Sammelan 1912
Author(s): Hiralal Sharma
Publisher: Hirachand Sacheti

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Page 47
________________ विचारणीय है ! तथा ऐसी खटपटमें पड़नेसे साधुको अपने ज्ञान ध्यानसे चूक रातदिन प्रायः आर्त ध्यान करनेका मौका आ पडता है ! इतनाहीं नहीं बलकि, श्रावकोंकी वा अन्य लोगोंकी खुशामद करनेका समयभी आ जाता है ! और कभी झूठभी बोलनेका प्रसंग आ पड़े तो आश्चर्य नहीं ! इत्यादि रोकनेके लिये इस नियमकी जरूरत है. यदि सत्य कहा जावे तो ऐसी खटपटमें साधुओंको उत्तेजन देनेवाले श्रावक लोकही होते हैं ! जो कभी श्रावक लोक ऐसी बातमें द्रव्य वगैरहकी सहायताद्वारा मदद दे उत्तेजन न देखें तो, ऐसी खटपटका कभी जन्मही न होने पावे ! इस लिये इस बातका श्रावकोंकोभी ख्याल करना चाहिये कि, देशकाल विरुद्ध दीक्षा देनेवाले साधुको मदद न करें. प्रस्ताव चौवीसवां. (२४) ॐ नामदार शाहनशाह पंचम ज्यौर्जकी शीतल छायामें वीरक्षेत्र ( बडौदा ) जहां कि, श्रीमंत महाराजा सयाजीराव गायकवाड सरकार विराजते हैं उनके पवित्र राज्यमें धर्मोनति निमित्त यह सम्मेलन आनंदके साथ समाप्त हुआ है. इस लिये यह सम्मेलन परमात्मासे प्रार्थना करता है कि, उन्होंके इस पवित्र राज्यमें ऐसे धर्म कार्य हमेशांही निर्विघ्नतासे होते रहें और सर्वदा ऐसी ही शांति बनी रहे !

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