Book Title: Manavta Muskaye
Author(s): Tulsi Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 242
________________ वीतराग २०,२१ संस्कृति ३५,३६, देखें-भारतीय व्यक्ति और समाज १९८ संस्कृति व्यक्तित्व ७१ सत्य ३२,४०,१३९-१४५,२०३ व्यक्ति-निर्माण १०९,११० समभाव ३०,३१,४९-५१ व्यक्ति-सुधार १३,१४,२१० समाज १०८-१११,१८२,१८३, व्यतिक्रम १३६ १९१,१९२,१९८-२०२ व्यसन देखें-दुर्व्यसन --कल्याण देखें -समाज-निर्माण व्यापकता ५२,५३ -निर्माण ८६,१०८,१११, व्यापारी २११ १९१,१९२,१९८-२०२, व्रत २५,३१,७७,८१,२०६ २०७,२१२ सम्यक्त्व देखें - सम्यक दर्शन सम्यक् दर्शन २०,२१,७९,८०, शत्रु १४७,१४८ देखें - मिथ्यादर्शन शराब ८६ शांति १९,२५,२६,३१,३७,३९, सांख्य दर्शन ४१ ४७,७१,८१,९९-१०३,१ साधना ८९-९१ ७७,२०७,२०८-२१०, सुख ५७,५८,७१,८८,९९-१०२. देखें विश्व-शांति, अशांति ११२-११७,१७८,१७९, शास्त्रज्ञ ४९ २०९,२१०, देखें-दुःख शिक्षा ३०,७५-७७,१५३,१५४ सुधार की प्रक्रिया १३,१४,१५, --प्रणाली १५३,१५४ १०३,१७८,२१० शील की नव बाड़ १२०-१२६, स्त्री देखें-महिला १३५,१३६ स्वाद-वृत्ति २७-२९, श्रद्धा १९,६९,७० देखें -खाद्य-संयम स संकल्प १०४-१०७,१४५ हिंसा ५,२३,२४,५७,१५६, संकीर्णता ५२,५३ १५७,१६७-१७०, संगठन १७,१८ देखें - अहिंसा संघर्ष ३९,६३,१६१,१६२,२०१ हृदय-परिवर्तन ९३,९४,१८९ संयम ३,४,३९,८८,१०१,११०, १६५,१७८-१८०,१८२, १८३,२०९,२१० २२४ मानवता मुसकाए Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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