Book Title: Majernamu
Author(s): Gyansundar
Publisher: Ratna Prabhakar Gyan Pushpmala

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Page 86
________________ (४६) चोमासु करावे भावथी, बीजीवार हो ! नहीं लेवे नाम: श्रद्धा उतारे शासन थकी, थोडा मळे हो! चौमासाना गाम. सु० १९ चोमासानी पेदाशने, गृहस्थी पासे हो ! राखे ज्ञानने नाम अथवा राखे बेंकमां, व्याने हो ! फरे कई दाम .. सु. १. महिला मंडण करे वाणीआ, बेंको हो ! देवालुं दे फुका आर्त ध्यान मटे नहीं, छानो रोवे हो ! पाडे घणी पोक. सु० २१ छ मास शोक जाये नहीं, आयु बांधे हो ! जे तेणे काळ सीधा जाये नारकी, परमा धामी हो ! करे सार संभाळ सु० २२ यति परिग्रह धारी थया, त्यागी जाणे हो ! संवेगीनो साथ, लाय लागी जळमायने कोण जोवे हो ! मारा कृपानाथ. सु० २३ सो पचासने पोणोसो, मळे जीहां हो ! चाहने दूध, देशो देश विचरे तहीं, केम रहे हो ! तेनो संयम शुद्ध. सु० २४ गामडामां करे विनती, उपकार होशे हो विराजो नाथ; जवू पालीताणे जातरा भाई अहीं हो ! आवे अमारे शुं हाथ. सु० २९ गायन मंडळी बोलावरों ओच्छव करशु हो ! जागीशुं रात; खानपान करशुं जोईतुं दूध चाह हो ! मळशे प्रमात सु० २६ केइ गाम एवां पडयां नहीं देख्या हो ! जीवनमा साध; . .. आशातना होवे देरांतणी, केम करे हो ! साधु प्रमाद सु० २७ नरकना दुःख सांभळी, केवां हो ! कंपे रोम प्रदेश; एक देश आदर नहीं, कमर बांधी हो ! विचरे देश विदेश सु० २८ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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