Book Title: Majernamu
Author(s): Gyansundar
Publisher: Ratna Prabhakar Gyan Pushpmala

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Page 122
________________ (८२) तो कोण रोके छे परंतु आ समे राग द्वेष करवा के जिनागमोंने लोपवा एतो मोटुं पाप बंधनन कारण छे माटें तेओने दीर्घ दृष्टि थी विचारवं नोइए. तेरापंथी अधिकार. दोहरा. प्रतिमा उत्थापी ढुंढके, माने दया और दान; अढारे पंदरोतरे, भीखम उदय अज्ञान, प्रतिमाने पत्थर कहे, वीर प्रभु गया चुका पाप कहे दया दानमां, अज्ञानी बेवकुफ. . (ढाल २६ मी.) देशी उपरनी. तेरापंथीनी वारता, लखता हो ! दुःख आवे अथाग; शासन चंद्र जेम उनळ, पंथीडे हो ! लगाव्यो दाग. सु० १ दया दान जड जैननी, जेमा हो ! बतावे पाप; श्रावक बटको (टुकडो ) झेहरनो, आज्ञा बहार हो ! धर्म दीधो . थाप. सु. २ कळतो नीव बचावतां, वध्यो केवे हो ! अनंत संसार; जीवमार्या पाप एक छे, बचावतां हो! कहे लागे अहार. सु० ३ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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