Book Title: Majernamu
Author(s): Gyansundar
Publisher: Ratna Prabhakar Gyan Pushpmala

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Page 10
________________ (१०) सुधारानो मार्ग. अने संघ सभा श्री संघने तीर्थकर भगवान् पण नमस्कार करे छे. संघ पच्चीसमो तीर्थकर गणाय छे. आवो महत्वनो संघ समाजनी अधोगति थती केम जोइ शके छ ? घोर निद्रामाथी जागृत थइ ज्यारे विद्वान् मुनिमंडळ अने श्रावकवर्ग एक महत्ववाळी संघ महासभा स्थापन करशे. तेमां आगम अनुसार देश कालादि उचित नियमों बांधशे । साधुसमाज सुधारवामां साधुओने वस्त्रपास्त्र पुस्तकादिमा पोतापणुं न राखवा, वधाराना होय ते संघसभाने सोपी देवा. दीक्षा लेनार श्रावक अगर श्राविकाने प्रथम संघसभामां दाखल करवा. परीक्षा पछीन समानी मंजुरी लइ दीक्षा आपवी. पुस्तक छापका बाबत संघसभामां दाखल करवु अने सभा मंजुरी आपे तो छपाववां. नवीन बाबत आपणा विहार बहार पडे ते पण संघ सभानी मंजुरी लेवी. देवद्रव्यादि धर्मधन ते अमुक एकना कवनामां न राख, संघसभा ज्यां योग्य लागे त्यां वापरवा रजा आपी शके. जैन जाति मदद फंड सुधर्म सभा. मुनि महासभा. जैनग्रंथ सोसाइटी इत्यादि कोई जैन जाति उद्धारक संस्था स्थापे. . ___ आ हुं मारा विचार जणावं छु तेवी रीते बीजाओए पण पोताना विचार जणाववा. विचारनी आपले थवाथी कार्यपद्धतिनी कुंची मनी आवे. गुपचुप बेसी न रहेता शासन सेवा माटे पुरतो प्रयत्न करवानी जरूर छे. ले. ज्ञानसुंदर. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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