Book Title: Main Hu Apne Bhagya ka Nirmata
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 252
________________ २४२ / मैं हूं अपने भाग्य का निर्माता यह कुछ दुरूह-सा लगता है । क्योंकि बल-प्रयोग शुद्ध साधन की कोटि में नहीं आता । तुमने बल-प्रयोग किया । कसाई का हृदय नहीं बदला । उसका चैतन्य नहीं जागा । यदि बल-प्रयोग से अहिंसा होती तो रक्तक्रान्ति को हम अशुद्ध साधन नहीं कह सकते । मार्क्स ने स्पष्ट शब्दों में कहा—वर्ग-संघर्ष संसार की स्वाभाविक प्रक्रिया है । यह एक ऐतिहासिक दृष्टिकोण है मार्क्सवाद का | वर्ग-संघर्ष शाश्वत है। बुर्जुआ वर्ग या धनी वर्ग सारे साधनों पर अपना एकाधिकार स्थापित कर लेता है तब दूसरे वर्ग में संघर्ष की स्थिति पैदा होती है और वह संघर्ष निरंतर चलता रहता है | इस संघर्ष में विजय प्राप्त करने के लिए श्रमिक वर्ग क्रान्ति का सहारा लेता है और कभी-कभी वह क्रान्ति रक्त-क्रान्ति में परिणत हो जाती है | बल-प्रयोग के द्वारा किसी को बचाना अहिंसा है तो एक गरीब श्रमिक के लिए रक्तक्रान्ति होती है, उसे भी अहिंसा मान लेना चाहिए | उसे हिंसा क्यों माना जाए ? किन्तु हम विचार कर रहे हैं निर्वाण के संदर्भ में । जब निर्वाण की दृष्टि से विचार करेंगे तो हिंसक क्रान्ति, बलप्रयोग, सत्ता का प्रयोग—ये शुद्ध साधन नहीं बन सकते । इन्हें अशुद्ध साधन ही मानना होगा। तीसरी बात है---प्रलोभन के द्वारा अहिंसा की सिद्धि | साध्य है अहिंसा और निर्वाण, साधन है प्रलोभन | लालच देकर हिंसा को रोक दिया और उसे मान लिया अहिंसा । अहिंसा साध्य और उसकी सिद्धि प्रलोभन या लालच के द्वारा होती है । कहीं मेल नहीं बैठता । आचार्य भिक्षु ने एक महत्त्वपूर्ण घोषणा की और वह धार्मिक जगत् के लिए बहुत मूल्यवान है । आचार्य भिक्षु ने कहा—धन से धर्म नहीं होता । यह निश्चित तथ्य है । इतनी स्पष्ट घोषणा धार्मिक जगत् में कभी-कभी ही हुई है । जैसे आर्थिक क्षेत्र में मार्क्स की कुछ घोषणाएं महत्त्वपूर्ण हैं, वैसे ही धार्मिक क्षेत्र में आचार्य भिक्षु की घोषणाएं बहुत महत्त्वपूर्ण हैं । उन घोषणाओं में सबसे महत्त्वपूर्ण है कि धन से धर्म नहीं होता। भय और प्रलोभन ये दोनों धर्म के कीटाणु हैं, धर्म के साधक तत्त्व नहीं, बाधक तत्त्व हैं। सूफी मत की प्रसिद्ध साधिका राबिया एक बार हाथ में झाडू और बाल्टी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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