Book Title: Main Hu Apne Bhagya ka Nirmata
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 258
________________ २४८ / मैं हूं अपने भाग्य का निर्माता व्यक्ति की भूमि बहुत उर्वरा है । उसे उर्वरक देने की भी जरूरत नहीं होती। बिना उर्वरक के ही वहां बीज पल्लवित हो जाता है | बीज बोने के लिए समय ही नहीं लगता । यह यथार्थ स्थिति है । हिंसा के विकसित होने के सारे कारण विद्यमान हैं । ऐसी अवस्था में हम अहिंसा सार्वभौम की कल्पना कैसे करें ? एक विरोधाभास और विसंगति-सी लगती है । किन्तु आदमी अपने प्रत्यन से हर असंभव बात को संभव बना सकता है | असफल को सफल बना सकता है। एक व्यक्ति ने एक कन्या से पूछा- तुम किसकी लड़की हो ? कन्या विदुषी थी । उसने कहा—मैं उसकी लड़की हूं, जिसने भयंकर नागों को विषहीन बना डाला, जिसने मदोन्मत्त हाथियों को शान्त कर डाला और जिसने बड़े-बड़े शूरवीर योद्धाओं को वीर्यहीन कर डाला । कैसे संभव है कि सांप निर्विष हो जाए? कैसे संभव है कि हाथी शान्त और विनीत बन जाए ? कैसे संभव है कि आक्रामक योद्धा शान्त और शक्तिहीन हो जाए? असंभव लगता है। किन्तु कन्या ने कहा- मैं उसकी पुत्री हूं जिसने ये तीनों असंभव काम किए हैं। तात्पर्य समझने में कठिनाई नहीं हुई कि वह चित्रकार की पुत्री थी। चित्रकार ने विषधर का चित्र बनाया । कैसे होता उसमें विष ? उसने मदोन्मत्त हाथी का चित्र बनाया, पर उसमें से मद कैसे झरता ? उसने योद्धा का चित्र बनाया । वह शक्ति से पूर्ण तथा आक्रामक स्थिति में अवस्थित है, पर है शान्त । __केवल चित्र का ही ऐसा निर्माण नहीं होता, ऐसे व्यक्तित्व का भी निर्माण संभव है, असंभव नहीं । कारण क्या रहा ? अहिंसा की चर्चा बहुत होती है, केवल चर्चाएं होती हैं | आज अहिंसा में शक्ति कहां है ? आज युद्ध में जाने के लिए कहां हैं वे अहिंसक सैनिक ? कहीं नहीं हैं । अहिंसा शक्तिहीन हो गई। चित्र में चित्रित-सी हो गई। अहिंसा देवी का सुन्दर चित्र आज उपलब्ध है । चित्र को दखने से लगता है कि अहिंसा देवी के अंग-प्रत्यंग से शक्ति का क्षरण हो रहा है, पर वह है चित्रगत । यह जीवित अहिंसा की बात नहीं हो सकती । आज जहां भी अहिंसा की चर्चाएं हो रही है, लगता है वे सारी चर्चाएं चित्रकार की अहिंसा की चर्चाएं हैं, चित्रकला की निपुणता की चर्चाएं हैं, परमार्थ की चर्चाएं नहीं हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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