Book Title: Mahavira Smruti Granth Part 01
Author(s): Kamtaprasad Jain, Others
Publisher: Mahavir Jain Society Agra

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Page 284
________________ २६० म० महावीर-स्मृति-ग्रंथ! प्रदेश था। इस पर्वत प्रदेशके रहनेवाले लोग पौरव कहलाते थे । भारतीय इतिहासके प्रसिद्ध और सिकन्दरसे लोहा लेनेवाले राजा पुरू इसी प्रदेशके थे । युआन वाड्के अनुसार इस पर्वत प्रदेशका घेरा ५००० ली था, इसकी राजधानी २० ली से भी वही थी। वहा की प्रमुख उपज चावल, दाल, और गेहू थी । इस वर्णनसे प्रतीत होता है कि कुवलयमालाकहाकी प्रशस्तिमें वर्णित पव्वइया (पत्रिका) नगरी पर्वत देशको राजधानी थी और वह पर्वत देश काश्मारके नीचे और मुलतानके पूर्वोत्तर ११६ मील पर चनाय नदीके किनारे था । इसी प्रदेशमैं एक पर्वत है, जिसे 'पदी' कहते हैं। समव है कि पन्धी और पवइया का कुछ सम्बन्ध हो । प्रियदर्शन इतिहास कण्ठमें माज ध्वनित हो काव्य बने। वर्तमानकी चित्रपटी पर, भूतकाल सम्भाव्य बने ! -श्री 'दिनकर' - - - - - - ५ था. येनीमाया यस्मा त 'सशोक ए हिज स्किप्स, पृ. ४५ में लिखा है . The explanation for the introduction of Parvatah lumar in the story lics really in the Mudrörälshasa in shich the machinations of Chanakya against Sanda stere directed to conciliating Rikshasa, a minister of Nanda, and gelting Malaya try of Pariala at an nily. I am inclined to identify Pamat? with Ilven Thiar's Po-fn-10, a country which 14 18 situated 700 11(about 116 miles) south. runt o Xultan Vetsarhdatta's Panata 16 the same country 25 that which Param.2.143, mentions as the name of a country under the group Tarshan 11.33 1. A FTS मान पाम ट्राग पो-फा-नोको पयंग प्रदेश बनाया गया है। 2. ५ ...

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