Book Title: Mahavira Siddhanta aur Updesh
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 145
________________ 128 : महावीर : सिद्धान्त और उपदेश : 13 : एस खलु गंथे, एस खलु मोहे, एस खलु मारे, एस खलु णिरए / --- आचारांग : 14 : तमंसि नाम तं चेव, जं हंतव्वं ति मन्नसि तुमं सि नाम तं चेव, जं अज्जावेयव्वं ति मन्नसि तुमं सि नाम तं चेव, जं परियावेथव्वं ति मन्नसि / -आचारांग सव्वे जीवा वि इच्छंति, जीविउन मरिज्जि। तम्हा पाणिवहं घोरं, निग्गंथा वज्जयंति णं / / - दशवकालिक तत्थिमं पडढमं ठाणं महावीरेण देसियं / अहिंसा निउणा दिट्ठा, सव्वभूएसु संजमो॥ -- दशवकालिक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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