Book Title: Mahavira Siddhanta aur Updesh
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra
View full book text
________________
१४८ : महावीर : सिद्धान्त और उपदेश
णिमम्मो णिरहंकारो णिस्संगो चित्तगारवो। समो य सव्वभूएसु तसेसु थावरेसु य ।। लाभालाभे सुहे, दुक्खे, जीविए मरणे तहा। . समो जिंदापसंसासु, तहा माणावमाणए । गारवेसु कसाएसु, दंडसल्लभएसु य । णियत्तो हाससोगाओ, अणियाणो अबंधणो ।। अणिस्सिओ इह लोए, परलोए अणिस्सिओ। वासी - चंदणकप्पो य, असणे अणसणे तहा ।।
- उत्तराध्ययन
सव्व - भूयप्पभूयस्स, सम्मं भूयाइं पासओ। पिहिआसवस्स दंतस्स, पावकम्म न बंधइ ।
- दशवकालिक
समया सब्वत्थ सुव्वते ।
१० : समयं सया चरे।
----- सूत्रकृतांग
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172