Book Title: Mahavira Siddhanta aur Updesh
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 167
________________ १५० : महावीर : सिद्धान्त और उपदेश मोक्ष अरइ आउट्टे से मेहाबी खणं सि मुक्के । ----- आचारांग आयाणं निसिद्धा सगडभि । __- आचारांग नाणं च दसणं चेव, चरितं तवो तहा । एस मग्गु त्ति पण्णत्तो, जिणेहि वरदरिसिहि ॥ -~-- उत्तराध्ययन नाणेण जाणई भावे, दंसणेण य सद्दहे। चरित्तेण निगिण्हाइ, तवेण परिसुज्झइ ॥ -- उत्तराध्ययन भादंसणिस्स नाणं, नाणेण विणा न हुति चरणगुणा । अगणिस्स नत्थि मोक्खो, नत्थिं अमोक्खस्स निव्वाणं ।। --- उत्तराध्ययन को दुवं पाविज्जा, कस्स य सुक्खेहि विम्हओ हुज्जा । को वा न लभिज्ज मुक्वं, रागद्दोसा जइ न हुज्जा । - मरण-समाधि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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