Book Title: Mahavira Siddhanta aur Updesh
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 161
________________ १४४ : महावीर : सिद्धान्त और उपदेश जीवियं नाभिकं खेज्जा, मरणं नो वि पत्थए । दुहओ वि न सज्जेज्जा, जीविए मरणे तहा ।। -आचारांग धीरेण वि मरियव्वं, काउरिसेण वि अवस्सं मरियव्वं तम्हा अवस्स-मरणे, वरं खु धीरत्तणे मरिउं । -- मरण-समाधि लाभोलाभे सुहे दुक्खे, जीविए मरणे तहा । समो निदा-पसंसासु, तहा माणावमाणओ।। - उत्तराध्ययन असंखयं जीवियं मा पमायए, जरोवणीअस्स हु नत्थि ताणं । सव्वओ पमत्तस्स भयं, सव्वओ अपमत्तस्स नत्थि भयं । -- आचारांग सव्वत्थ विरति कुज्जा। -- सूत्रकृतांग Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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