Book Title: Madhyam vrutti vachuribhyamlankrut Siddhahemshabdanushasan Part 01
Author(s): Kshamabhadrasuri, Ratnajyotvijay
Publisher: Ranjanvijayji Jain Pustakalay

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Page 11
________________ कलिकालसर्वज्ञश्रीहेमचन्द्राचार्यविरचिते मध्यमवृत्त्यवचूरिभ्यामलते स्याताम् // 9 // अ० अं च अश्च अंअः / 'औस्वं शब्दोपतापयोः' स्वृ / अनु / अनुस्वर्यते संलीनमुच्चार्यते इत्यनुस्वारः / वञ् / 'नामिनोऽकलिहलेः' (4 / 3 / 51) वृद्धिः / 'सृजंत् विसर्गे' सृज् / वि / विसय॑ते विरम्यते विरतिभूतोऽर्थः प्रतीयते / घञ् / 'क्तेऽनिटश्चजोः कगौ घिति' (4 / 1 / 111) जस्य गः / 'लघोरुपान्त्यस्य' (4 / 3 / 4) गुणः / / 9 / / कादिर्व्यञ्जनम् // 1 // 110 // कादिवर्णो हपर्यन्तो व्यञ्जनं स्यात् / क ख ग घ ङ / च छ च झ ञ / ट ठ ड ढ ण। त थ द ध न / प फ ब भ म / य र ल व / श ष स ह 33 // 10 // अ० 'डुदांग्क् दाने' आपूर्वम् / आदीयते गृह्यतेऽर्थोऽस्मात् इत्यादिः / 'उपसर्गादः किः' (5 / 3 / 87) 'इडेत्पुसि चातो लुक्' (4 / 3 / 94) इत्याकारलुक् / क आदिरवयवो यस्य वर्णसमुदायस्य सः / 'अंजूप् व्यक्तिम्रक्षणगतिषु' अञ् / विपूर्वम् / व्यञ्जते प्रकटीक्रियतेऽर्थोऽनेन, 'करणाधारे' (5 / 3 / 129) अनट् // 10 // ___अपञ्चमान्तस्थो धुट् // 11 // 11 // वर्गपञ्चमान्तस्थावर्जः कादिर्वणो धुट् स्यात् / क ख ग घ / च छ ज झ / ट ठ ड ढ। त थ द ध। प फ ब भ / श ष स ह / 24 // 1 // अ० 'पचुङ् व्यक्तीकरणे' / 'उदितः स्वरान्नोन्तः' (4 / 4 / 98) इति पञ्च् / पञ्चते निजसङ्ख्यामिति पञ्च / 'उक्षितक्षिअक्षिईशिराजिधन्विपश्चिपूषिक्लिदिस्निहिनुमस्जेरन्' (900) इति अन् / पञ्चानां पूरणः पञ्चमः / 'नो मट्' (7 / 1 / 159) इति मट् / 'नाम्नो नोऽनह्नः (2 / 1 / 91) इति नलोपः / पञ्चमाश्चान्तस्थाश्च पञ्चमान्तस्थं / न विद्यते पञ्चमान्तस्थं यस्य सोऽपञ्चमान्तस्थः / 'नञत्' (3 / 2 / 125) इति अः // 11 // पञ्चको वर्गः // 1 / 112 // कादिषु वर्णेषु यो यः पञ्चसङ्ग्यापरिमाणो वर्णः स स वर्गः स्यात् / क ख ग घ ङ 5 / च छ ज झ ञ 5 / ट ठ ड ढ ण 5 / त थ द ध न 5 / प फ ब भ म 5 / 25 // 12 // ___ अ० पञ्च संख्या मानमस्य ‘सङ्ख्याडतेश्वाशत्तिष्टे कः' (6 / 4 / 130) इति कः 'नाम्नो नोऽनह्नः' / (2 / 1291) / 'वृजींक् वर्जने' / वृज्यते पृथक्क्रियते विजातीयेभ्य इति वर्गः / घञ् / 'क्तेऽनिटश्चजोः कगौ घिति' (4 / 1 / 111) गः // 12 // आद्यद्वितीयशषसा अघोषाः // 111113 // वर्गाणामाद्यद्वितीया वर्णाः शषसाश्च अघोषाः स्युः / क ख / च छ / ट ठ / त थ / प फ / श ष स / 13 // 13 // ___अ० आदौ भव आद्यः / 'दिगादिदेहांशाद्यः' (6 / 3 / 124) इति यः / 'अवर्णेवर्णस्य' (74/68) इलोपः / द्वयोः पूरणः द्वितीयः 'द्वेस्तीयः' (7 / 1 / 165) / आद्याश्च द्वितीयाश्च शश्च षश्च सश्च आद्यद्वितीयशषसाः / 'घृष् शब्दे' घोषणं घोषः / पञ् / नञ्पूर्वम् / अविद्यमानो घोषो येषां तेऽघोषाः / / 13 / / अन्यो घोषवान् // 11 // 14 //

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