Book Title: Madhyakalin Gujarati Sahityana Itihas Lekhannu Swarup
Author(s): Balwant Jani
Publisher: ZZ_Anusandhan

View full book text
Previous | Next

Page 2
________________ ताणावाणानी माफक संयोजायेल छे ए साहित्यना इतिहासलेखकनी नजरमां रहेQ जोईए. आम साहित्यना इतिहासलेखक माटे कशुं ज साहित्येतर नथी. बधुं साहित्य संलग्न छे. एटले साहित्यसंलग्न संज्ञा ज उचित जणाय छे. आ बधी अद्यतन विचारधारा अने ज्ञानमीमांसानी अनुपलब्धि समये पण प्राप्य साधनोने आधारे आपणे त्यां साहित्यना थोडा इतिहासो लखाया छे ए कार्य मारी दृष्टिए भारतीय भाषाओमां आपणने गौरव अपावे एवं ज छे. आ कारणे में अहीं इतिहासलेखन बाबतनी आपणा विद्वानोनी विभावनानो प्रारंभे ढूंकमां परिचय करावीने पछी मारा अभ्यासने-अनुभवने आधारे इतिहासलेखननी विगतो दर्शाववानो उपक्रम सेव्यो छे. (१) गोवर्धनराम त्रिपाठी ई.स. १८९४मां 'ध इन्फल्युअन्स ओन सोसायटी एन्ड मोरल्स' ग्रंथमां मध्यकालीन साहित्यना इतिहास आलेखनमा तेओ रचनाना प्रभावने केन्द्रमा राखीने पोताना तारणो रजू करे छे. तेओ माने छे के कर्ता समाजना संदर्भो वच्चे रहीने कृतिने जनसमुदाय समक्ष एने समजावता प्रस्तुत करतो होईने सामाजिक संदर्भ एमां प्रगट्या वगर रहे ज नहीं. तेमणे नरसिंह, भालण, मीरां, भीम, प्रेमानंद, अखो, शामळ, दयाराम एम थोडा कविओना प्रदानने नजर समक्ष राखीने समय निर्णयनी अने सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भनी विगतोने निर्देशेल छे. एमणे अहीं भक्तिकविताना आस्वादना प्रश्नोनी, मध्यकालीन साहित्यनां सौंदर्यशास्त्रनी समयनिर्णयनी अनिवार्यतानी, तथा साहित्य अने समाजना आंतर संबंधोनी भारे सूझथी चर्चा करी छे. मारी दृष्टिए गोवर्धनरामनी इतिहासलेखननी विभावना ए विगते आलोचवा-अवलोकवा जेवी छे. (२) बीजं काम कृष्णलाल मो. झवेरी, ई.स. १९१४मा प्रकाशित 'माईल स्टोन्स इन गुजराती लिटरेचर' छे. गो.मा.त्रि.ने मुकाबले कोई सैद्धान्तिक प्रश्नोनी पीठिका न रची आपतुं होवाने कारणे साहित्यना इतिहासतुं आ पुस्तक सामान्य लागे, पण अहीं एक महत्त्वनो नवो मुद्दो चर्चायो छे. इतिहास ग्रंथमां भौगोलिक, ऐतिहासिक, भाषाकीय अने सामाजिक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11