________________ 101 भावकने परिचित करवानो उपक्रम पण आवकार्य मनायो छे. एथी भावकनेअभ्यासीने पोतानी रीते मंतव्यो बांधवानी मोकळाश रहे छे. आ स्वाध्याय निमित्ते केटलुक विगते विचारवानुं बन्यु. अभ्यास दरम्यान कर्तासूचि ज मात्र तैयार करी तो कर्ता ज त्रणेक हजार जेटला थया. एने शताब्दी अनुसार गोठवीने एनी कृतिओ नोंधीने, संदर्भो मेळवीने उपर्युक्त पद्धति - अभिगमथी इतिहासलेखन तरफ वळवू छे. ऊंडी इच्छा तो निरांते बे-त्रण सहायको साथे आवा इतिहासलेखन-मग्न बनवानी छे. अहीं ए बाबतनो थोडो-घणो स्वाध्याय प्रस्तुत करवान बन्यु एना राजीपा साथे मारा विचारने विराम आपुं छु. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org