Book Title: Madan Dhandev Charitra Author(s): Tirthbhadravijay Publisher: Shraman Seva Religious Trust View full book textPage 7
________________ HETEनवरित - सो साtheerut y+ 11' - न्यूली माता निल युनने-जाणे, लामनु घर बनाईरे सूर्यतासे परहेथीभार्यो, डासै संगुही हमारे..... -~-यापी सी उटवीय पंडितनी शास्त्रमा स्भीयरित्रने यजोडताहरांत ----शेप स्याई छै. प्रेभने यशचनेपछी चाहि अरहरी सपियारी स्य सायरनारी स्त्रीसोना स्टांनो लपली अपने मरेजर संभारथी निर्ये --पमाऽयामा काधनसूत 2.--- प्रस्तुत ऽथानमा विझी पनयिन्यन्मा से सोछा पा संघरपयोमा प्रहन सने घनध्य-जनेनुयनमा रूसीलोभी धरीने केही दुर्घना पाभ्या तेनो ताशा सितार नालेभ्यो छै.डाव्यमा प्रयोभमेल सलंडारगर्मितपयौ तेम रसाहि तिनीकरतानां पधारो रेछ.-------- प्राकृत साहित्यनाममइनाहचरिय तथा संस्कृत साहित्यना--- जयानन्दकेयलिन्चरित्र नीसयान्तर धाप भहन-घनदेयरिजना तेभर महनधनपरास नो कृतिनाथा घटोनी तुलना, कृतिनो रमा-- स्वाद इत्याहि पाहननी शोलानां पधारो तो उरे छै साधेसाधे संपाEF नीमूह ,संघान पति तर विशेष दृष्टि रीली रे छे. मास प्रस्तुत संपाहन डरया जलपीतील यिन्य भासा तथा - तेमना परियारने भूलचूल मालिनहन सहसाशीर्या.श्रीमरीशयनने-- नेप्रना तरधी साधा संपामो माया रेस शटलेला. सोभमंपिनां मनुयंहना सुणशाता Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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