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सं. १८७३ । व । माघ शुद । ७ । शुके श्रीपार्श्वनाथबिंबं शा. वीरचंद हीरजी । त । श्री श्रीविजयजिनेंद्रसूरिभिः प्रतिष्ठितं ग्राम मोरबीना.... ॥ संवत् १९०३ शाके १७६० प्रवर्तमाने माघमासे....भृगौ वासरे श्रीराधनपुरवास्तव्य वीसा सिरमाली...
संवत् १८९३ शाके १७५८ प्र । माघशुक्ल १० तिथौ बुधवासरे श्रीराजनगर ओसवाल ज्ञाति वृद्धशाखायां सिसोदियावंशे कुंकुमलोलागोत्रे से। खुसालचंद तत्पुत्र से । वखतचंद तद् भार्या........ संविज्ञपक्षि पं. श्रीपद्मविजयगणिए कसला वोरा उपर लखेल एक पत्र.
॥ श्री॥ ॥ए दे०॥ स्वस्ति श्रीपार्श्वपरमेश्वरं प्रणम्य श्री लीवडी नगरे सुश्रावक पुण्यप्रभावक देवगुरुभक्तिकारक संघमुख्य । वो। कसला डोसा योग्यं । श्री अम्मदाबादथी लि । पं पद्मविजयनो धर्मलाभ जाणवो । बी । अत्र पुण्योदय प्रमाणे सुख छे । तुम्हारो पत्र १ आव्यो ते वांची समाचार जाण्या। तुम्हे लिख्युं जे चौदमा गुणठाणाने विचरम समय ७२ क्षय करी अने १३ प्रकृति चरम समयें क्षय करी सिद्धि वर्या ते चरम समय ज सिद्धिवर्या के लगते समय सिद्धि वर्या ? इम लिख्यु तेहनो उत्तर ।
चौदमा गुणठाणाना छेहलो समय गई लाते समय सिद्धि वर्या, जे कारणे छहले समयें तो :१३ प्रकृति उदयमां तथा सत्तामां छे, अने जे समये उदय सत्तागत कर्म होय तेह ज समई सिद्धि, इंम कहेवाय ज किम ? कांय समयना में भाग थता नथी । तथा जे कमनो उदय तेह ज कर्मनो क्षय, एक समयें किम होय ? तथा कोई कहेस्थे जे ए तो व्यवहार व्याख्या छे,निश्चय थकी चौदमा गुणठाणाने छेहले समय सिद्धि ते पणि कहें न घटें । जे कारण माटे आउषा कर्मनो परिशाट कयो छई. जे आयुकर्म सर्वथा जीवथी भिन्न कि वारई थयु, तिवारें विशेषावश्यकमां कडं जे निश्चयनयें " परभवपढमे साडो" इति एतले परभवने प्रथम समये सर्व शात कयो. जिवारे छहले समयें तो न कह्यो । वली श्री विशेवावश्यक मध्ये केवलज्ञान उपजावा आश्री निश्चय व्यवहारनय फलाव्या छे, तेहमां इंम ठराव्युं जे-निश्चय थकी केवलज्ञान तेरमा गुणठाणाने प्रथम समयें उपर्नु, अने व्यवहार न तेरमानें बीजें समयें उपहुँ, जे माटें व्यवहारनय ते उपना पछी उपनुं कहें छे; क्रियाकाल-निष्ठाकाल भिन्न समय मानें छे. अने निश्चयनय उपजतां वेला उपनुं कहें छे, जे माटें निश्चयनय क्रियाकाल-निष्ठाकाल एक मानें छे इति । ए रीतें विशेषावश्यकमां चर्चा करी छे, पणि बारमा गुणठाणाने चरम समय केवलज्ञान एहवू तो कहिइं लिख्युं नथी। जो ते बारमाने छेहले समयें केवलज्ञान उपर्नु लिख्युं होत तो चौदमानें छहले समय सिद्धि इंम कहेंवात ते तो नथी । ते माटें लगतें समय सिद्धि इति । वली मूगडांग सूत्रमा केवली भगवानने इरियावही संबंधी शाता