Book Title: Limbdi Jain Gyanbhandar Hastlikhit Prati Suchipatra
Author(s): Chaturvijay
Publisher: Agamoday Samiti
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[ १०९]
१८६३ बंधविदारणसम्यक्त्ववणन १८६५ बंधस्वामित्वप्रकरण १८६५ बंधहेतूदयत्रिभंभीप्रकरण 1481 बंधहतूदयत्रिभंगाप्रकरण सटीक
प्रा.
गा ५३ ,, ६५
१९५० १२८८-१८ ६९थी, १००५ २ १६४७
.
१६०२
त्रिपाठ
१८६७ ब्रह्मचर्यरक्षावर्ति १८६८ ब्रह्मचर्यस्वाध्याय १८६९ ब्रह्मचर्याष्टक १८७० भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक
हर्षकुल टी. । विजयचिमल) पद्मनंदी सकलचंद्र पद्मनंदी
१६३० १७३७
१८७१ १८७२ १८७३
भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णकावचुरि भक्तामरकवितबद्ध भक्तामरस्तोत्र
का.२२ ६१०-१५ ५४थी५६ ३७ ३२४६-३२ २७थी२९ का.९ ६१०-२९ ७६मेपाने गा.१७२ ५२७१० १७१ ९३०-३७ ४०थी४१
१४१८-३ ३२थी४७
३२१० का.४४ ९८३ ,,१६ १०६३ ५ ,४४ १२८८-११ ४४थी४६ ,५४ १३०४
अपूर्ण
- मानतुंगाचार्य
१७४८
C
मू.मानतुंगाचार्य
१६०९
१८७४ भक्तामरस्तोत्रकाव्य १८७५ भक्तामरस्तोत्र गुर्जरटीकासहित
भक्तामरस्तोत्रटीका बालाव-। बोधसहित
} १८७७ भक्तामरस्तोत्र सटीक
१५३९
.....: : :. .
अपूर्ण . पत्र९मुं नथी
१४२६
१५७२
६४२
" , टी. गुणाकर
१४२६
१८७८
१५७२ का.४४
मू. मातुंगाचार्य टी.शांतिसूरि
५८९
संडेगच्छीय पंचपाठ
का.४४
९८७

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