Book Title: Limbdi Jain Gyanbhandar Hastlikhit Prati Suchipatra
Author(s): Chaturvijay
Publisher: Agamoday Samiti

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Page 236
________________ [ १५३ ] २६७२ षड्दर्शनसमुच्चय हरिभद्राचार्य २६७३ राजशखरसूरि २५७४ षड्दर्शनसमुच्चय तर्कहरस्यदी-1 हरिभद्राचार्य. पिकानाम्नीटीकासहित ___ गुणरत्नसूरि २६७५ ___ षड्दर्शनसमुच्चय सावचुरि हरिभद्राचार्य ८७ १७६ ९३०-२८ २९थी३० १०४४-१ थी १५३५ १०० ८६ ५ ११९३ १२०१ १०३२-३ पंचपाठ पंचपाठ १ सोमसुंदरसूरि १५८० संस्कृतादि षड्भाषामयआदिजिनस्तोत्र २६७७ षड्भाषामयस्तव २६७८ षड्वर्गकुंडलीविवार २६७९ षड्व्रतस्वाध्याय २६८० षष्ठिशतक कांतिविजय नेमिचंद्रभंडारी २४१५-१ ३पत्रार्गत गा.१६० ९२६८ , १६१ ९३०-६५ ७८थी८० ,, १६१ १२८८-३० १०३थी।०९ ९४६ ३९ पत्ररजुनथी.. " २६८१ षष्टिशतक बालावबोधसहित १४९६ बा. प्रा.गु. बा.सोमसुंदरमूरि २६ १४९६ १५०१ " " प्रा.सं १६६२ १४६१ २६८२ षष्ठिशतक सटीक. १७७४ ३५०३ २६८३ पोडशक सटीक त्रिपाठ नेमिचंद्रभंडारी टी.गुणरत्नवाचक हरिभद्राचार्य.टी.) यशोभद्राचार्य. हेमचंद्राचार्य सं मू.२५६ ६३७ ४४ २६८४ ___ सकलार्हत् . ५४९-२ ४थी ३थी २ ८६६-२ २८ १०३४ १०९८ .. २७१५४८ ."

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