Book Title: Lalitvistarakhya Chaityavandan Sutra Vrutti
Author(s): Haribhadrasuri, Munichandrasuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
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ललितवि०
साक्षिद्यतगतवाक्यानुक्रमः।
७७-२
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नानिवृत्ताधिकारायां प्रकृती धृतिःश्रद्धा (इत्यादि)४५-२ अलमनेन क्षपकवन्दनाकोलाहलकल्पेन तत्त्वमिष्टं तु पश्यतु
५३-१ अभाविताभिधानेन, तीर्थनिकारदर्शनादागच्छन्तीति
५५-१ वर्णदृढादिलक्षणे प्वत्रि (पा०५-१-१२३) ७७-१ असहजाऽविद्या
५५-२ तो कसिणसंजमविऊ पुष्फाईयं न इच्छन्ति भ्रान्तिमात्रमसदविद्या ५६-१ जिणपूआविभवबुद्धित्ति
७७-२ काल एव कृत्स्नं जगदावर्तयति
५७-२
इक्षुरसगुडखण्डशक्करोपमाश्चित्तधर्माः अप्रत्यक्षा च नो बुद्धिः, प्रत्यक्षोऽर्थः ५८-२ उत्प्राबल्योर्ध्वगमनोच्छेदनेषु
९३ ब्रह्मवब्रह्मसंगतानां स्थितिः
अप्पुवनाणगहणे बुद्ध्यध्यवसितमर्थ पुरुषश्चेतयते
६१-१
सर्वे जीवा न हन्तव्याः॥ समितिगुप्तिशुद्धा क्रिया गुणपर्यायवद्व्यं द्रव्याश्रया निर्गुणा गुणाः
___ असपत्नो योगः॥ उत्पादव्ययध्रौव्ययुक्तं सत् ॥ (पं) (त० अ०५ सू० ३७४०) ६२
एक द्रव्यमनन्तपर्यायमर्थः विभुर्नित्य आत्मा
६४-२ जिणंतरे साहुवोच्छेओ सर्वे भावा आत्मभावे तिष्ठन्ति
यापनीयतन्त्रे
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