Book Title: Laghutattvasphota
Author(s): Amrutchandracharya, Padmanabh S Jaini, Dalsukh Malvania, Nagin J Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 292
________________ 243 312; -चमत्कृत 342; -तत्त्व 384; -तेजस् 276; -धाम 236; उदीयमान । -न्यास 554; -परायण 453; उद्धतरस -भासन 369; -मयत्व 341; उद्भव -महिम्नि 76; -माहात्म्य 172; उपचय -यन्त्रित 165; -लक्ष्मण 123; उपचित -वत् 252, 379; वपु 596; उपधि -वस्तुभाव 388; -विकास 341; उपप्लव -विक्रम 143, 444, 145, 148, उपयुक्त 149, 161; -विभूति 450; उपयोग -विशुद्धि 130, 557; -विशेषण 59; -वीर्य 423; -वैभव 325, 391-शक्ति 50, 216, 397; -संश्रय 370 आत्मीकृत 24 आदिदेव उपाधि आदिम 502 उपासनीय आधार . 445, 558 उभय . आधेय 445 उल्लसत् आनन्तविज्ञान 148 . उल्लसित आनन्त्य 572, 573 ऊर्ध्वगति आनन्द _149, 526, 553, 577, एक 955 आयु 138, 182, 208, 211 आलम्ब 540 आवरण 159, 260 आवली 481 आवारक 602 आश्रय 221; -ता 514, 520 आश्रय 356 ईक्षुकर्णिका 352 इतरेतर 338; -हेतुता 356 ईर्यापथ 134 उच्छलन ___82, 124, 226 उत्पाद 534 उत्सर्ग 372 उदय 508. 581, 609; -आवलि 57, 130; -स्पर्धक 351, 604 509 583 508 177 216, 573 554 493, 494, 497 178, 213, 217, 544 55, 58, 60, 63, 111, 223, 258, 259, 274, 304, 361, 559, 574, 577, 588, 589, 596, 598, 599, 604, 606, 608, 609, 617, 618, -आत्मन् 577; -रस 575 17 196 - आत्मक 330; -स्वभाव 40 26, 169 159 211 3, 10, 14, 16, 18, 532, 576, 577; -अंश 401; -आकार 548, 556; -आत्मन् 298; -उपयोग 259, 574 -क 169, 462; -काल 123; -ता 111, 113, 120, 147, 229, 333, 503, 504, 514; -त्व 202, 293; -दृष्टि 226, 233; -द्रव्य 531; -परिणाम 323; -भाव 218, 244, 245 -रस 222, 228, 238, 298, 331; -रूप 26, 49, 84, 92, 98, 139, 150, 175, 178, 180, 182, 184, 190, 196, 207, 550, -वित् 400; वृत्ति 248; -शून्यता 485; -संवित् 583; -स्फुलिङ्ग 564 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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