Book Title: Laghutattvasphota
Author(s): Amrutchandracharya, Padmanabh S Jaini, Dalsukh Malvania, Nagin J Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 294
________________ 245 क्षीण गति गुप्त जड क्षय 70, 177, 207, 210, 383, - कुड्मल 98; -क्षण 4843; 460; - उपशम 56;- श्रेणि 131 - धनरस 592; -चमत्कृति 18; - कषाय 133; - मल 620 ; -परिणाम 24; -पिण्ड 588; -पूर - संवेदन 620 1, 239; - प्रभा 466; - भार क्षेत्र 425 23, 48, 76, 584 ; - मण्डल खण्ड 529, 617 200; -मय 106, 150, 249, 559 खण्डन 235, 261 - मात्र 34, 583; -वस्तु 240; खण्डित 145, 289, 529, 617 -विकाश 75%; विलास 37, 47, गजमीलन 309 600; - वीर्य 579; - शक्ति 211, 530, 606, 612, 613 ; 237, 583; - संस्कार 562 ; - कर्म 68 - सङकोच 87; - सत्त्वमात्र 16, 12, 111, 139, 150, 304, चितिहुत 564 317, 392, 403, 420, 445, चेतना 305, 319, 455 566, 606; - वत् 550, 594; चैतन्य 26, 227, 547, 548, 578, - श्रेणि 157 580, 624 577, 584 छाया 615; - स्पर्शरस 615 गूढ 576, 586 306, 307, 365, 592, 565; गृहीतयोग 205 -ता 305, 489 गौण 420, 421 जन्य 442 ग्रन्थि 558, 560, 603 जात 11, 442, 443 ग्राह्याकार 596 जितराग 276, घस्मर 490, 546 जिनेन्द्र 495, 576 चकचकायित 2 जीव 203, 597 चक्र ज्ञप्ति 260, 261,263, 264, 266, 267, चतुरङ्ग 178 268, 269, 270; -क्रिया 264 चन्द्रप्रभ (देव) 6 ज्ञातृ 544, 560; --त्व 46 चरण 56, 210 ज्ञान 61, 182, 191, 207, 214, 241, चरित 622 259, 262, 266, 277,278,280, चरित्र 40, 209, 211 281, 426, 443, 527, 528, चित् - अंश 143; -अग्नि 85; -अङ्ग 537, 538, 539, 541, 542, -हार 77; - अञ्चल 350 ; . 543, 553, 560, 562, 564, - आत्मन् 96; -उद्गम 30, 333, 565, 569, 570, 595, 599, 344; - उपप्लव 36 ; - एकता 615, 618, 620, 625, 627 147, 566; - एकपीत 25; ज्ञेय 527, - एकवृत्ति 126; - कण 175, जात्यन्तर 585 480, 487; - कला 152, 276; ज्योति 549 - कलिका 174, 331, 341; टङकोत्कीर्ण 566 597 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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