Book Title: Laghutattvasphota
Author(s): Amrutchandracharya, Padmanabh S Jaini, Dalsukh Malvania, Nagin J Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 300
________________ 251 विभा 132 467, 468, 469,470,471,472, वीर (देव) 313 473, 475 वीर्य 57, 63, 69, 72, 73, 74, विमल (देव) 100, 139, 140, 158, 180, विमुक्ति 177, 559 199, 207, 212, 213, 214, विमोह 467 215, 219, 224, 261, 263, विरक्त 313, 340 286, 303, 321, 383, 423, विरुद्धधर्म 288, 450, 521, 582 443, 449, 544, 553, 579, विलय 533, 566, 571 580, 597, 598 विलीन 333; -आत्मन् 600 वृत्तिमान् 507 विवक्षित 421, 424 वेदना 306, 307, 308, 309, 310, विवर्त 34, 112, 218, 280, 348, 311, 313 509, 584 वेद्य 57 विविक्तमति 346 वैराग्य विवृत्ति 593 व्यक्त 545 विवेक 61, 159, 338 व्यक्ति 418, 427, 547, 607, 608, विशीर्णसञ्चय 479 615, 616, 620, 624 विशीर्यमाण 480 व्य ञ्जनपर्यय 119 विशुद्धबोध 231, 381 व्यतिरेक 81, 291, 339, 431, 434 विशुद्धि 478, 557 व्यपेक्षा 413 विशेष 113, 144, 388, 428,432,449, व्यय 508, 509 502, 512, 513, 514, 515, व्यवस्था 322 .. 516, 531, 607, 617, 621 व्यवस्थिति 373 विशेषण 454, 455, 457, 460, 461, व्यवहार 318, 370 504, 505, 506, 519, 522 व्यस्त । 440 विशेष्य 460; -ता 504 व्यात्युक्षी 574 विश्व -आकार 586; --आत्मन् 275; व्यापार 559, 568, 606 -आत्मक 223; -उद्भासि 618, व्याप्त 592 -ग्रास 255; -चुम्बि 447, व्याप्ति -भासिन्76; -रूप 221; -रूपता व्यायाम 580, 598 323; -विसर्पि 354, 595; शक्ति 79; -चक्र 389 --व्यापक 443; -व्यापि 550, शम 201; -रस 378 552, 598; -स्पृक् 174, 576 शब्द 67, 105, 108, 187, 193, 200, विश्वग्व्याप्य 445 401, 405, 406, 410, 413, 476. 417, 418, 425, 445; -शक्ति विषय 44, 59, 161, 313, 340, 345, 418 368,425, 427,559,572, 620 शम्भव (देव) 3 विषयिन् 313, 345 शान्त 14; -तेजस् 173, 606; -महस् 556 विष Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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