Book Title: Laghu Shanti Vidhan Author(s): Rajmal Pavaiya Publisher: Akhil Bharatiya Jain Yuva Foundation View full book textPage 4
________________ =॥ लघु शान्ति विधान॥ निशान।। = - लघु शान्ति विधान मंगलाचरण (अनुष्टुप) अर्हन्त-सिद्ध-आचार्य-उपाध्याय-सर्वसाधुभ्यो नमः। जिनालय-जिनबिम्ब-जिनश्रुत-जिनधर्मेभ्यो नमः॥ (सग्विणी) परम-शान्ति-विधायकम्, परिपूर्ण-सौख्य-प्रदायकम् । मंगलोत्तम-शरण-जगति, देव-नव-मंगलमयम् ।। (दिक्) अरहन्त देव वन्दूँ, मैं सर्व सिद्ध वन्दूँ। आचार्य देव वन्दूँ, उवझाय सर्व वन्दूँ। मुनिराज सर्व वन्दूँ, जिन चैत्यालय वन्दूँ। जिनबिम्ब-धर्म-वाणी, सब देव सदा वन्दूँ।। अरहन्द देव मंगल, हैं सिद्ध श्रेष्ठ मंगल । आचार्य देव मंगल, उवझाय सर्व मंगल । जिन चैत्य धर्म मंगल, ॐकारनाद मंगल ।। अरहन्त देव उत्तम, हैं सिद्ध श्रेष्ठ उत्तम । आचार्य देव उत्तम, उवझाय सर्व उत्तम ।। आचार्य देव उत्तम, व मुनिराज सर्व उत्तम, जिन चैत्यालय उत्तम । जिन चैत्य धर्म उत्तम, ॐकारनाद उत्तम ।। अरहन्त शरण जाऊँ, मैं सिद्ध शरण पाऊँ । आचार्य शरण जाऊँ, उवझाय शरण पाऊँ ।। मुनिराज शरण जाऊँ, जिन चैत्यालय जाऊँ। जिन चैत्य धर्म शरणा, ॐकारनाद पाऊँ।Page Navigation
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