Book Title: Laghu Prakaran Sangraha Author(s): Shravak Bhimsinh Manek, Publisher: Shravak Bhimsinh Manek View full book textPage 5
________________ MEIn 3 नमः सि॥ अथ श्रीजीवविचारप्रकरणप्रारंजः॥ आर्याटत्तं ॥ जुवर्णपश्चा वीर, नमिळण' नणामि' अबुढबोदई॥ जीवसरूवं किंचि वि, जह"जणियों में । पुर्वसूरीहि ॥ १॥ जीवा मुंत्ता"संसा, रिणो"य"स"थावरा"यु संसारी॥ पुढवि । जलजलण"वाऊ, वुणस्सई यांवरा नेया॥२॥ फखिंद' मणि रयण"विहुमः ।। हिंगुख हरियाल मणसिल' रसिंदा॥ कणगाइ धान सेढी, वन्निय"अरणेट्टय पलेवा ॥३॥ अग्नय तरी कसं, मट्टी पाहाण जाणेगा॥ सोवीरंजण व णा, ३ पुढविनेया य श्चाइ ॥४॥ नोमंतरिकमुदगं, उसाहिमकरग हरि । लणू मदिया॥ हुँति घणोददिमाई, नेआ णेगा य आनस्स ॥५॥इंगाल जा ल मुम्मुर, नक्कासणि कणग विजुमाईया ॥ अगणिजियाणं नेया, नाय || IN वा निजणबुडीए॥६॥ ननामग नक्कलिया, मंमलि मद सुक्ष गुंजवाया य॥ _049905" avanmandir@kobatirth.org Jain Education international For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 ... 222